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इजाजत मांगी, मिली भी, फिर भी नहीं खरीदी वैक्सीन, जनता को जीते जी मार गई विपक्ष की ‘जानलेवा’ राजनीति!

Corona Vaccine: बॉलीवुड और इंस्ट्राग्राम सर्किल की नई धकधक बने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी 8 मई 2021 को एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने इस चिट्ठी में यहां तक लिखा कि वे एक ही बार में वैक्सीन का जरूरी स्टाक खरीदना चाहते हैं।

नई दिल्ली। पीएम के एक भाषण ने वैक्सीन पर घटिया राजनीति कर रहे पूरे विपक्ष को सिरे से बेपर्दा कर दिया। 7 जून को पीएम ने टीवी पर आकर ऐलान किया कि अब केंद्र ही वैक्सीन की खरीद करेगा और राज्यों को केंद्र के जरिए वैक्सीन दी जाएगी। यही नही बल्कि देशवासियों को मुफ्त वैक्सीन मिलेगी। पीएम के इस ऐलान के पीछे विपक्ष के वैक्सीन फर्जीवाड़े का काला इतिहास शामिल था। विपक्ष की इस घटिया वैक्सीन राजनीति ने आम जनता की जान खतरे में डाल दी। विपक्ष ने पहले वैक्सीन खरीदने का अधिकार मांगा, जब मिल गया तो खरीद की कोई पहल ही नही की। लोग मरते रहे, विपक्षी सरकारें हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही। विपक्ष के इस ‘जानलेवा’ रूख की अगुवाई खुद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी कर रहीं थीं। ममता बनर्जी ने 24 फरवरी 2021 को पीएम को एक चिट्ठी लिखकर कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार वैक्सीन खरीदना चाहती है। कृपया इसमें उचित फोरम के जरिए मदद करें। ममता बनर्जी वैक्सीन की खरीद करने के लिए इस कदर आतुर थीं कि उन्होंने पीएम को कई चिट्ठियां लिख डालीं। उन्होंने 18 अप्रैल 2021 को फिर से पीएम को चिट्ठी लिखी और 24 फरवरी को लिखी अपनी पिछली चिट्ठी की याद दिलाई। ममता ने पीएम से कहा कि वे उन्हें राज्य के फंड से वैक्सीन खरीदने की इजाजत दें। यानि यही विपक्ष जो आज केंद्र पर वैक्सीन खरीदने का जिम्मा मढ़ रहा है, एक वक्त में किस कदर वैक्सीन की खरीद पर आमादा था।

Corona Vaccine

इस रेस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे। पूरा का पूरा खान मार्केट गैंग एक ही सोच के साथ काम कर रहा था। अरविंद केजरीवाल ने 18 मार्च 2021 को प्रेस कांफ्रेंस की और बड़े शौक से दावा किया कि वे केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह वैक्सीन खरीद के सिस्टम का विकेंद्रीकरण करे, अपना नियंत्रण कम करे। राहुल गांधी भी अवसरवाद की इस गीली जमीन पर अपने शरीर का पूरा वजन लेकर कूद पड़े। उन्होंने 8 अप्रैल 2021 को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी और आरोप लगाया कि वैक्सीन खरीदने के राज्यों के अधिकार को छीन लिया गया है। राज्य सरकारों को वैक्सीन खरीद में अधिक हिस्सेदारी दी जाए।

इससे कुछ ही दिन पहले उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक भी 17 अप्रैल को एक चिट्ठी लिख चुके थे। उन्होंने इस चिट्ठी में लिखा कि कोविड की वैक्सीन को खुले बाजार में उपलब्ध कराया जाए। यह सरकार की सप्लाई चेन से बाहर हो। उन्होने साथ ही साथ यह भी कहा कि राज्यों को वैक्सीन की खरीद के लिए उचित गारंटी मुहैया कराई जाए।

राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य आनंद शर्मा भी पीछे नही रहे। उन्होंने अपील की कि राज्य सरकारों को तुरंत वैक्सीन की खरीद के कांट्रैक्ट में शामिल होने की इजाजत दी जाए। आनंद शर्मा स्वास्थ्य को राज्य सूची का विषय बताते हुए इस बात की वकालत कर रहे थे। सिर्फ ये मुख्यमंत्री ही नही, बल्कि सिविल सोसायटी का पूरा का पूरा जत्था भी महीनो से वैक्सीन की खरीद की इजाजत दिए जाने की लॉबिंग कर रहा था। इन लोगों के पास कोई प्लानिंग नही थी। कोई संसाधन नही थे। कोई तैयारी नही थी। वैक्सीन की खरीद की अंतराष्ट्रीय प्रक्रियाओं से ये वाकिफ नही थे। यहां तक कि कुछ मामलों में ये वैक्सीन खरीदना भी नही चाहते थे। इसके बावजूद इन लोगों ने वैक्सीन की खरीद के नाम पर घटिया राजनीति जारी रखी।

Arvind Kejriwal

अरविंद केजरीवाल की सरकार इस मसले पर बुरी तरह एक्सपोज हुई। दिल्ली सरकार ने 26 अप्रैल को वैक्सीन निर्माताओं को चिट्ठी लिखकर उनकी सप्लाई की शर्तें जाननी चाहिए। ये काम नई पालिसी लागू होने के पूरे 7 दिन बाद किया गया। इस बीच दिल्ली में वैक्सीन की चीख पुकार मचती रही। 7 मई को उन्होंने लेटर ऑफ इंटेट जारी किया जो इस बात का संकेत था कि वे वैक्सीन खरीदना चाहते हैं। यानि वैक्सीन की खरीद की इजाजत मिलने के 18 दिन बाद तक वे अपने इरादे ही जाहिर कर रहे थे।

इसी तरह बॉलीवुड और इंस्ट्राग्राम सर्किल की नई धकधक बने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी 8 मई 2021 को एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने इस चिट्ठी में यहां तक लिखा कि वे एक ही बार में वैक्सीन का जरूरी स्टाक खरीदना चाहते हैं। यदि उन्हें दूसरे निर्माताओं से भी वैक्सीन खरीदने की इजाजत दी जाएगी तो वे एक बड़ी जनसंख्या को कवर कर सकेंगे। उनकी ये चिट्ठी तब आई जब नई पॉलिसी को लागू हुए 19 दिन बीत चुके थे। इस बीच राजस्थान में लाखों कोविड की वैक्सीन कचरे के ढेर में पाई गईं। पंजाब में तो सरकार खुद मध्यस्थ यानि दलाल बन गई और मुनाफा कमाकर वैक्सीन निजी अस्पतालों को बेचने लगी।

Vaccination India pic

जब इस सारी कवायद का नतीजा शून्य रहा और ये सभी मुख्यमंत्री अपने अपने राज्यों में बेनकाब होने लगे तो फिर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर वैक्सीन के सेंट्रलाइज्ड प्रोक्यूरमेंट की गुजारिश की गई। पंजाब के सीएम ने 15 मई, केरल ने 24 मई, सिक्किम ने 30 मई, मिजोरम ने 31 मई, मेघालय ने 31 मई, आंध्र ने 1 जून, उड़ीसा ने 2 जून, त्रिपुरा ने 2 जून और महाराष्ट्र ने 2 जून को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर वैक्सीन की केंद्रीकृत खरीद की गुजारिश की। इसके बाद 7 जून को नई नीति का ऐलान किया गया जिसके तहत केंद्र सरकार 18 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों के लिए फ्री में वैक्सीन उपलब्ध कराएगा। ये विपक्ष की नाकामी और घटिया राजनीति का सबूत था। वैक्सीन खरीद के मामले के तथ्य विपक्ष के नाम पर झूठ और फरेब की मशीनरी के संकेत देते हैं।