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UP: कृष्ण जन्मभूमि पर मस्जिद की जगह मंदिर की अर्जी, जानिए इलाहाबाद HC ने क्या कहा

UP: मुगल काल में मंदिर तोड़कर बनाई गई शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया जाए और सारी जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि कृष्ण जन्मभूमि को जन्म स्थान ट्रस्ट बनाया जाए

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में चुनावी नतीजों के बाद मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर कथित तौर पर निर्मित शाही ईदगाह को हटाने की मांग तेज हो गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद को कृष्ण जन्मभूमि की मान्यता देने की मांग में दाखिल याचिका पुनर्स्थापित कर ली है। संत समाज द्वारा मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के स्थान पर काशी के तर्ज पर विशाल कॉरिडोर बनाने के मांग के बीच यह निर्णय आया। कोर्ट ने 19 जनवरी 2021 को अदम पैरवी में याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि समय रहते अर्जी दाखिल कर दी गई थी। अब 25 जुलाई 2022 को याचिका पर सुनवाई की जाएगी। यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने अधिवक्ता महक माहेश्वरी की याचिका पर दिया है।

बता दें कि, मुख्य याचिका 19 जनवरी 2021 को दायर की गई थी। मगर याचिकाकर्ता के हाजिर नहीं होने की वजह से इसे खारिज कर दिया गया था। हालांकि, याचिका बहाल करने का आवेदन इसके तुरंत बाद दाखिल कर दिया गया था।

याची का कहना है कि, मुगल काल में मंदिर तोड़कर बनाई गई शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया जाए और सारी जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि कृष्ण जन्मभूमि को जन्म स्थान ट्रस्ट बनाया जाए और जब तक मामले में कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक जन्माष्टमी पर हिंदुओं को ईदगाह में जन्म स्थान पर पूजा-अर्चना करने की इजाजत दी जानी चाहिए। याची का कहना है कि मथुरा के राजा कंस ने भगवान कृष्ण के माता-पिता को जेल में कैद कर लिया था। इसी दौरान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसके अलावा याचिका में विवादित जमीन पर ASI (Archaeological Survey of India) से सर्वे और खुदाई कराकर मंदिर का पता लगाने की भी मांग की गई है। याचिका दाखिल करने वाले ने तर्क दिया है कि मस्जिद इस्लाम का आवश्यक अंग नहीं है। कहीं भी इबादत की जा सकती है, इसलिए विवादित जमीन हिंदुओं को सौंपी जाए, ताकि हिन्दू संविधान प्रदत्त अनुच्छेद 25 के मूल अधिकारों का स्वतंत्रता पूर्वक प्रयोग कर सके और जन्म स्थान में पूजा-पाठ कर सकें।