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PM Modi 20 years: प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक जीवन में पूरे किए 20 साल, जानिए कैसा रहा CM से PM बनने का सफर

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सार्वजनिक जीवन में 20 साल पूरे कर लिए हैं। इन 20 सालों के दौरान नरेंद्र मोदी 12 साल से ज्यादा समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे तो वहीं 7 सालों से भी ज्यादा के समय से वह देश के प्रधानमंत्री हैं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सार्वजनिक जीवन में 20 साल पूरे कर लिए हैं। इन 20 सालों के दौरान नरेंद्र मोदी 12 साल से ज्यादा समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे तो वहीं 7 सालों से भी ज्यादा के समय से वह देश के प्रधानमंत्री हैं। 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। तब से लेकर अभी तक पीएम मोदी बिना नागा किए लगातार संवैधानिक पद पर कायम हैं। इस दौरान नरेंद्र मोदी नें एक भी चुनाव हारे नहीं हैं। अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडालिजा राइस का एक मशहूर कथन है,  ‘There’s no greater challenge and there is no greater honor than to be in public service’ यानी कि लोक सेवा में रहने से न तो बड़ी कोई चुनौती है और न ही इससे बड़ा कोई सम्मान।”  पीएम मोदी के संदर्भ में ये कथन बिल्कुल ठीक बैठता है। पब्लिक सर्विस के 20 साल के लंबे कार्यकाल में पीएम मोदी ने निजी से लेकर प्रशासनिक जीवन की कई चुनौतियों का सामना किया। इस दौरान उन्हें जनता का साथ भी खूब मिला। भारत जैसे देश, जहां का सियासी धरातल बेहद उबड़खाबड़ है, वहां उन्होंने अपने दम पर लगातार 2 बार आम चुनावों में रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया है।

पीएम मोदी के बीस साल

पीएम मोदी ने 20 सालों के सफर में सबसे पहले राजनीति में उनके पदार्पण की चर्चा जरूरी है। सोशल मीडिया में जब पीएम मोदी की पुरानी तस्वीर नजर आती है तो मोदी की सादगी देख उनके समर्थक और आलोचक कहते हैं कि इन तस्वीरों से इतना जरूर लगता है कि समय मोदी का इंतजार कर रहा था, या फिर मोदी का भाग्य समय का इंतजार कर रहा था। और लोग ऐसा कहे भी क्यों न कहें। 80-90 के दशक में मोदी बीजेपी के एक साधारण नेता हुआ करते थे। पीएम मोदी ने गांधीनगर चुनाव में बीजेपी की जीत पर लोगों को बधाई दी थी। साल 1987 में खुद मोदी ने अहमदाबाद निगम चुनाव में बीजेपी के जीत की स्क्रिप्ट लिखी थी। उन्होंने यहां अपनी प्रबंधन क्षमता का कमाल दिखाया था और पार्टी को जीत दिलवाने में मदद की।

नरेंद्र मोदी को श्मशान घाट में फोन

साल 2001 में बीजेपी नेतृत्व ने गुजरात में सीएम का चेहरा बदलने का फैसला लिया। योग्य चेहरे की तलाश की गई तो पार्टी की नजरें नरेंद्र मोदी पर आकर अटक गईं। दरअसल इससे पहले केशुभाई पटेल नरेंद्र मोदी को गुजरात की राजनीति में हाशिये पर धकेल चुके थे। गुजरात बीजेपी में बगावत जैसी स्थिति देखी जा रही थी। इसी उधेड़बुन में मोदी साल 2000 में अमेरिका की यात्रा पर निकल गए थे। एक वरिष्ठ पत्रकार ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि ‘बात 1 अक्टूबर की है, नरेंद्र मोदी दिल्ली में एक कैमरामैन के अंतिम संस्कार में भाग लेने आए हुए थे। तभी उनके फोन की घंटी, नरेंद्र मोदी ने जब फोन उठाया तो उनसे कहा गया कि वे पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात कर लें।’

जब नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वाजपेयी से मिले तो उन्हें गुजरात की जिम्मेदारी दी गई। वाजपेयी ने मोदी की राजनीतिक घुमक्कड़ी को खत्म कर दिया। दरअसल इस फोन कॉल मोदी के लिए सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने का रास्ता खोल दिया। जिसके साथ भारत की राजनीति एक प्रस्थान बिंदु तक पहुंची।

सीएम बने पीएम मोदी

7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम पद के लिए शपथ ग्रहण की। मोदी भुज भूकंप के प्रभावों से निपट ही रहे थे कि फरवरी 2002 में गोधरा ट्रेन कांड हो गया। जिसके बाद राज्य साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलस गया। गुजरात दंगों ने देश के सामाजिक ताने-बाने को गहरा नुकसान भी पहुंचाया। वहीं इन दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी ने सीएम नरेंद्र मोदी को ‘राजधर्म’ निभाने की सलाह दी थी।

लगातार जीते चुनाव

यूपीए-2 के दौरान गुजरात मॉडल वो स्केल बन गया था, जिसके आधार पर दूसरे राज्यों का विकास मापा जा रहा था। उस दौरान गुजरात मॉडल की इतनी चर्चा हुई कि मोदी 2014 के आम चुनाव के लिए पीएम का चेहरा बनकर सामने आए। साल 2009 में ‘पीएम इन वेटिंग’ रहे आडवाणी नरेंद्र मोदी के उत्कर्ष से नाराज हो रहे थे, लेकिन वे उन्हें रोक नहीं पाए। वहीं नरेंद्र मोदी ने साल 2002, 2007 और 2012 में लगातार चुनाव जीतकर कांग्रेस और गांधी परिवार को तगड़ी चुनौती देने का आधार बना लिया था। वहीं 2013 में बीजेपी ने मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

PM Narendra Modi

2014 में सोशल मीडिया बना मोदी का बैटलग्राउंड

मई 2014 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात से दिल्ली की एक सनसनीखेज सियासी यात्रा की। मोदी के नेतृत्व में हुए चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत भी हासिल किया। कहते हैं कि इन चुनावों में बीजेपी का चुनाव चिह्न भले ही कमल था, लेकिन चेहरा मात्र नरेंद्र मोदी ही थे। यह वो चुनाव था जो बूथ पर लड़ा तो गया था, साथ ही सोशल मीडिया भी इस इलेक्शन का बैटलग्राउंड रहा था। इस दौरान सोशल मीडिया इस कदर प्रभावी था कि नरेंद्र मोदी इसे अपने फायदे में शामिल करने के हुनर के उस्ताद बन गए।