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विदेशी निवेश और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने बनाई ये रणनीति

बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि निवेशकों को किसी तरह की समस्या नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही उन्हें केंद्र और राज्य स्तर पर क्लियरेंस को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हो और इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को घटाया जाए।

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू किया गया है। जिसका सीधा प्रभाव औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। ऐसे में देश की अर्थव्‍यवस्‍था को संभालने और विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक अहम बैठक की। इसमें भारत में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम अधिकारी मौजूद रहे।

PM Modi

बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि निवेशकों को किसी तरह की समस्या नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही उन्हें केंद्र और राज्य स्तर पर क्लियरेंस को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हो और इस प्रक्रिया में लगने वाले समय को घटाया जाए। बैठक में चर्चा की गई कि देश में मौजूदा औद्योगिक भूमि/प्लॉट/एस्टेट के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए एक योजना विकसित और आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।

दरअसल कई रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के बीच विश्वभर की तमाम कंपनियां और निवेशक चीन के विकल्प की तलाश में हैं और उनकी नजर भारत पर है। आर्थिक जानकारों का भी यही कहना है कि भारत के लिए यह सुनहरा अवसर है।

PM Narendra Modi

27 अप्रैल को जब पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों संग बैठक की थी तब भी उन्होंने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे विदेशी निवेशकों के लिए रेड कार्पेट बिछा कर रखें। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई भी निवेशक देश छोड़कर दूसरे जगह जाए।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कोयला-खनन क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोजगार पर भी की बात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड- 19 प्रसार के बीच अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये खान एवं कोयला क्षेत्र में संभावित आर्थिक सुधारों पर चर्चा के लिये बैठक की। इस दौरान अतिरिक्त कोल खंडों की नीलामी, नीलामी में वृहद भागीदारी और खनन की लागत कम करने पर चर्चा हुई।

Narendra Modi

प्रधानमंत्री मोदी ने खनिजों के उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता बेहतर बनाने तथा देश में ही उनके प्रसंस्करण पर विशेष जोर दिया। पारदर्शी और कुशल प्रक्रियाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार उत्पन्न करने के लिए घरेलू स्रोतों से खनिज संसाधनों की आसान और प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करने, निवेश और आधुनिक तकनीक पर भी चर्चा की गई।

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अतिरिक्त ब्लॉकों की नीलामी, नीलामी में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करना, खनिज संसाधनों का उत्पादन बढ़ाना, खनन की लागत को कम करना और परिवहन की लागत को कम करना, व्यापार करने में आसानी को बढ़ाना, जबकि पर्यावरणीय रूप से सतत विकास के साथ कार्बन पदचिह्न को कम करना भी चर्चाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा था।