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नई शिक्षा नीति नया भारत तैयार करने की नींव रखेगी : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का Bias है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।

नई दिल्ली। देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपनी बात रखते हुए शुक्रवार को पीएम मोदी ने कहा कि, यह नई शिक्षा नीति का किसी ने विरोध नहीं किया क्योंकि यह एक तरफा नहीं है। उन्होंने कहा कि, “नई शिक्षा नीति को तीन-चार साल के विचार-मंथन के बाद मंजूरी मिली है। आज हर विचारधारा के लोग इस मसले पर मंथन कर रहे हैं।”

PM Modi Education Policy

पीएम मोदी ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का Bias है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।

उन्होंने कहा कि, हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी National Values के साथ जोड़ते हुए, अपने National Goals के अनुसार Reform करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश का Education System, अपनी वर्तमान औऱ आने वाली पीढ़ियों को Future Ready रखें, Future Ready करें।

PM Modi Education Policy pic

संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इसे जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। पीएम ने कहा कि आपको इसे लागू करने में जो भी मदद चाहिए, मैं आपके साथ हूं। शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके। ये नीति नए भारत की नींव रखेगी। पीएम ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है।

लाइव अपडेट:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ सर्कुलर जारी करके, नोटिफाई करके Implement नहीं होगी। इसके लिए मन बनाना होगा, आप सभी को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए आपके लिए ये कार्य एक महायज्ञ की तरह है।

शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे छात्र, अच्छे प्रोफेशनल्स और उत्तम नागरिक देने का बहुत बड़ा माध्यम आप सभी अध्यापक और प्रोफेसर्स ही हैं। इसलिए नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में dignity of teachers का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश में रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में अहम भूमिका निभाने वाली है। जब Institutions और Infrastructure में भी ये Reforms reflect होंगे, तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी और त्वरित गति से Implement किया जा सकेगा

जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में student education और Dignity of Labour पर बहुत काम किया गया है।

कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जब जॉब के लिए जाता है तो उसे पता चलता है कि जॉब की रिक्वायरमेंट पूरा नहीं करता है। कई स्टूडेंट अलग-अलग वजहों की स्थिति में कोर्स छोड़कर जॉब करनी पड़ती है। ऐसी सभी स्थितियों का खयाल रखते हुए multiple entry और Exit का ऑप्सन भी दिया गया है।

हर विद्यार्थी को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने Passion को Follow करे। वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को Follow कर सके और अगर उसका मन करे, तो वो छोड़ भी सके।

अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए Inquiry-based, Discovery-based, Discussion based, और Analysis based तरीकों पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी।

इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है, जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, पांचवी कक्षा तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है।

हमें हमारे छात्रों को ग्लोबल सिटिजन तो बनाना है, इसका भी ध्यान रखना है कि वो इसके साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें। जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है ।

आज मुझे संतोष है कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया। बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया Global Standard भी तय हो रहा है

इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। School Curriculum के 10+2 structure से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 curriculum का structure देना, इसी दिशा में एक कदम है।

हमारे छात्रों में, हमारे युवाओं में क्रिटिकल थिंकिंग और इनोवेटिव थिंकिंग विकसित कैसे हो सकती है, जब तक हमारी शिक्षा में passion न हो, philosophy of education, purpose of education न हो।

आज गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे – “उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।” निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है।

बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में Curiosity और Imagination की Values को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था।

digital education

आपको बता दें कि यह कॉन्क्लेव शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें उच्च शिक्षा पर मंथन हुआ। इस कॉन्क्लेव का नाम Conclave on Transformational Reforms in Higher Education under National Education Policy था।