नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए आज कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया। पीएम मोदी के इस एक कदम ने पूरे विपक्ष को हाशिए पर ला दिया है। अब उनके पास मुद्दों का अकाल हो गया है। इस एक कदम के जरिए पीएम मोदी ने एक बार फिर साबित किया कि वह छोटे से छोटे तबके की भी सुनने के लिए तैयार रहते हैं। उनके जैसा लोकतांत्रिक नेता इतिहास में नही मिलेगा। किसानों का आंदोलन पूरे देश का न होकर केवल पंजाब और हरियाणा के कुछ असंतुष्ट सबको तक ही सीमित था। यूपी, एमपी, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र जैसे अलग-अलग राज्यों के किसानों को इससे कोई समस्या नहीं थी। इसके बावजूद पीएम ने इन कानूनों को वापस लेने का फैसला करके यह स्पष्ट कर दिया कि उनके लिए लोकतंत्र से बड़ा और कुछ नहीं है।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के हितों के ऊपर देश के हितों को रखा है। राष्ट्र विरोधी तत्व इस आंदोलन की आड़ में देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे थे और समुदायों के बीच दरार की खाई को चौड़ा कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक मास्टर स्ट्रोक के जरिए ऐसी तमाम कोशिशों को नेस्तनाबूद कर दिया। आज पीएम मोदी के शब्द उनकी विनम्रता के शिखर का परिचय दे रहे थे। पीएम ने यहां तक कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी। उन्होंने कहा कि कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। आज गुरुनानक देव का पवित्र पर्व है। ये समय किसी को दोष देने का समय नहीं है। इसके साथ ही, पीएम मोदी ने आंदोलन पर बैठे लोगों को प्रकाश पर्व पर अपने घर वापस जाने की अपील की।
पीएम मोदी जानते थे कि ये कानून किसानों के हित में है मगर एक तबका इसको लेकर लगातार भ्रम फैला रहा था पीएम ने ऐसे में राष्ट्रहित सबसे ऊपर रखा। मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं। इस कानून के जरिए सरकार की कोशिश थी कि किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले और साथ ही वे आधुनिक तकनीकों से जुड़ सकें। पीएम मोदी ने अपने भाषण में किसानों के लिए उठाए कदमों का जिक्र भी किया। पीएम मोदी ने कहा, “हमने अपने ग्रामीण बाजारों को मजबूत किया है। छोटे किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं लाई गई हैं। किसानों के लिए बजट आवंटन पांच गुना बढ़ गया है। हमने सूक्ष्म सिंचाई के लिए भी धन दोगुना कर दिया है।” इस सब के बावजूद पीएम ने कृषि कानूनों को वापस लेकर यह साफ कर दिया कि वे देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।