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Bihar: गया रैली में पीएम मोदी ने RJD पर कसा तंज, कहा-आज के बिहार में लालटेन की जरूरत खत्म

Bihar Election 2020: पीएम मोदी ने कहा कि पहले राशन हो, गैस सब्सिडी हो, पेंशन हो, स्कॉलरशिप हो, हर जगह घोटाला-घपला चलता था। अब आधार, फोन और जनधन खाते से सब जुड़ चुका है। अब गरीब को उसका पूरा हक समय पर मिलना सुनिश्चित हुआ है।

नई दिल्ली। बिहार (Bihar) के चुनावी रण में उतरने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। गया में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये वो दौर था जब बिजली संपन्न परिवारों के घर में होती थी, गरीब का घर दीए और ढिबरी के भरोसे रहता था। आज के बिहार में लालटेन की जरूरत खत्म हो गई है। आज बिहार के हर गरीब के घर में बिजली का कनेक्शन है, उजाला है। आज बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, IIT, IIM जैसे संस्थान खोले जा रहे हैं। यहां बोधगया में भी तो IIM खुला है जिस पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वरना बिहार ने वो समय भी देखा है, जब यहां के बच्चे छोटे-छोटे स्कूलों के लिए तरस जाते थे। एनडीए का संकल्प है बिहार को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना।

अहम बातें-

लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार की बहनों से मैंने कहा था कि आपको पीने के पानी की समस्या का समाधान देकर रहेंगे। इस दिशा में जल जीवन मिशन के तहत तेजी से काम चल रहा है।

बीते सालों में गरीब, वंचित, दलित, शोषित, पिछड़े, अति पिछड़ों के सशक्तिकरण के लिए एक के बाद एक बड़े सुधार किए गए हैं। अब गरीबों और वंचितों को उनके हक का पूरा लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। सुशासन के लिए टेक्नोलॉजी को आधार बनाया गया है।

पहले राशन हो, गैस सब्सिडी हो, पेंशन हो, स्कॉलरशिप हो, हर जगह घोटाला-घपला चलता था। अब आधार, फोन और जनधन खाते से सब जुड़ चुका है। अब गरीब को उसका पूरा हक समय पर मिलना सुनिश्चित हुआ है।

देश को तोड़ने की, देश को बांटने की वकालत करने वालों पर जब एक्शन लिया जाता है, तो ये लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं। इन लोगों का मॉडल रहा है बिहार को बीमार और लाचार बनाना।

PM Narendra Modi Gaya

NDA के विरोध में इन लोगों ने मिलकर जो ‘पिटारा’ बनाया है, जिसे ये लोग महागठबंधन कहते हैं, उसकी रग-रग से बिहार के लोग वाकिफ हैं। वो लोग जो नक्सलियों को, हिंसक गतिविधियों को खुली छूट देते रहे, आज वो NDA के विरोध में खड़े हैं।

नवादा और औरंगाबाद सहित बिहार के वो जिले जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं उनको आकांक्षी जिलों के तौर पर चुना गया है। इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ, पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे तमाम पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

ये वो दौर था जब लोग कोई गाड़ी नहीं खरीदते थे, ताकि एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनकी कमाई का पता न चल जाए। ये वो दौर था जब एक शहर से दूसरे शहर में जाते वक्त ये पक्का नहीं रहता था कि उसी शहर पहुंचेंगे या बीच में किडनैप हो जाएंगे।

90 के दशक में बिहार के लोगों का अहित किया गया, बिहार को अराजकता और अव्यवस्था के किस दलदल में धकेल दिया ये आप में से अधिकांश ने अनुभव किया है। आज भी बिहार की अनेक समस्याओं की जड़ में 90 के दशक की अव्यवस्था और कुशासन है।

दूसरा ये चुनाव इस दशक में बिहार का पहला चुनाव है, NDA की जीत के साथ ये चुनाव बिहार की भूमिका को और मजबूत करेगा।

बिहार के चुनाव इस बार दो कारणों से अहम हैं, एक तो कोरोना महामारी के बीच ये पहला बड़ा चुनाव है, जहां इतनी बड़ी संख्या में मतदान होने वाला है। इसलिए नजर इस बात पर है कि खुद को सुरक्षित रखते हुए बिहार लोकतंत्र को कैसे मजबूत करता है।