नई दिल्ली/चंडीगढ़। पंजाब की सियासत फिर गरमाने लगी है। वजह हैं पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू। कैप्टन अमरिंदर के सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि कल यानी बुधवार को कैप्टन सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैप्टन अपनी नई पार्टी का एलान कर सकते हैं। इस बीच, दिल्ली से खबर है कि कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को तलब किया है। सिद्धू आज दिल्ली पहुंच रहे हैं। बता दें कि सिद्धू ने पहले कैप्टन को पद से हटवाया और फिर चरनजीत चन्नी के सीएम बनने के बाद भी अपनी न सुनी जाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में तत्कालीन प्रभारी हरीश रावत के साथ बातचीत और दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सिद्धू ने इस्तीफा वापस ले लिया था। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू अब भी कई कदम न उठाए जाने से सीएम चन्नी से खफा हैं और कांग्रेस आलाकमान से बात करने की इच्छा जताई थी। इस पर उन्हें दिल्ली तलब किया गया है।
Former Punjab CM @capt_amarinder will address a Press Conference in Chandigarh tomorrow (Wednesday, Oct 27) at 11am. The event will be telecast live on his Facebook Page. Do tune in. pic.twitter.com/3bxpT1oZaz
— Raveen Thukral (@RT_Media_Capt) October 26, 2021
उधर, कांग्रेस के टॉप नेता इसपर नजर लगाए हुए हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहेंगे। जिस तरह ट्वीट किया गया है, उससे साफ लग रहा है कि कैप्टन अपनी नई पार्टी का एलान कर सकते हैं। कैप्टन ने बीते दिनों कहा था कि वो नई पार्टी बनाएंगे और अगर कृषि कानूनों के बारे में बीजेपी और केंद्र की सरकार सकारात्मक फैसला करती है, तो पंजाब के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के अलावा अन्य अकाली धड़ों के साथ गठबंधन करेंगे। कांग्रेस की चिंता इस वजह से भी बढ़ गई है। अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए, तो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को वो हीरो बना देगी। ऐसे में पंजाब को दोबारा जीतने में कांग्रेस को छींकें आ सकती हैं।
उधर, अमरिंदर सिंह लगातार पंजाब की सुरक्षा के बारे में बयान दे रहे हैं। अमरिंदर कह रहे हैं कि पंजाब को बाहरी ताकतों से खतरा है। कांग्रेस मान रही है कि अमरिंदर ऐसा हिंदू वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए कर रहे हैं। पंजाब के कस्बों और शहरों में काफी हिंदू आबादी है। पंजाब में 38 फीसदी सिख और करीब 34 फीसदी हिंदू रहते हैं। आतंकवाद के दौर में सबसे ज्यादा जान-माल का नुकसान हिंदुओं को ही उठाना पड़ा था।