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Prashant Kishor: कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं ‘PK’, राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मांगी राय

Prashant Kishor: इस बीच अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस संबंध में पार्टी के नेताओं से राय भी मांगी है। वहीं प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शमिल होने पर पार्टी नेता बचते नजर आ रहे है।

नई दिल्ली। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है। पिछले कई दिनों से प्रशांत किशोर के कांग्रेस पार्टी (Congress) में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। बता दें कि हाल ही में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और पूर्व पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात की थी जिसके बाद इन अटकलों को काफी बल मिला। हालांकि वह अपनी ओर से इन अटकलों पर विराम लगाते नजर आए हैं।

prashant kishor and rahul Gandhi

इस बीच अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस संबंध में पार्टी के नेताओं से राय भी मांगी है। वहीं प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शमिल होने पर पार्टी नेता बचते नजर आ रहे है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पार्टी में इस मामले से जुड़े तीन लोगों ने बताया है कि 22 जुलाई को राहुल गांधी की अध्‍यक्षता में हुई एक बैठक में इस मामले पर चर्चा की गई थी। बताया गया है कि इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता शामिल थे। जिनमें एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कमलनाथ और अंबिका सोनी मौजूद थे।

Political strategist Prashant Kishor

रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि अगर सभी प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो जाते है तो उन्हें पार्टी में महासचिव (अभियान प्रबंधन) के रूप में महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी दी जा सकती है।

कांग्रेस से अलग भाजपा के खिलाफ एक फ्रंट, प्रशांत किशोर और शरद पवार साथ, सोनिया गांधी की बढ़ी परेशानी

2014 के बाद से जब केंद्र की सत्ता पर भाजपा का अधिकार बढ़ा तो विपक्षी दलों की चिंता काफी बढ़ने लगी। 2019 के चुनाव आते-आते केंद्र ही नहीं राज्य में भी भाजपा लगातार मजबूत होने लगी। कई राज्यों में सत्ता पर भाजपा काबिज हो गई। 2017 में देश की राजनीति को अपने तौर-तरीके से चलानेवाले राज्य और केंद्र की राजनीति जिस गलियारे से होकर गुजरती है ऐसे प्रदेश यूपी में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार का गठन कर लिया तो विपक्ष की चिंता और ज्यादा बढ़ गई। इससे पहले 2016 में नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में जहां भाजपा का कोई जनाधार नहीं था वहां असम से लेकर अन्य राज्यों में भाजपा के बढ़ते जनाधार ने सभी राजनीतिक दलों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की दखल इन राज्यों में कम नहीं पड़ी बल्कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में भाजपा ने बड़ी संख्या में जीत दर्ज की। जबकि इससे पहले ही पश्चिम बंगाल में हीं एक ही मंच पर एक दूसरे का हाथ थामे कई दलों के नेता एक साथ भाजपा के खिलाफ खड़े नजर आए थे। लेकिन लोकसभा चुनाव पास आते-आते सबने एक दूसरे से अपना हाथ छुड़ाया और चुनावी समर में कूद पड़े।

Sharad Pawar Prashant Kishore1

पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते जनाधार से विपक्षी दल चिंतित नहीं थे उनको लग रहा था कि ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने का एक हीं रास्ता है जो भाजपा से होकर जाता है। ऐसे में भाजपा के खिलाफ टीएमसी को छोड़कर वहां के चुनावी मैदान में उतरे अन्य विपक्षी दल उतने आक्रामक नजर नहीं आए। लेकिन यहां भाजपा को उतनी सफलता नहीं मिली और ममता बनर्जी फिर से सत्ता के शिखर पर राज्य में पहुंच गई।

opposition in oath of kumaraswamy

प्रशांत किशोर वहां तब ममता बनर्जी के लिए कैंपेन कर रहे थे। हालांकि इसके बाद किशोर ने इस तरह की चुनावी कैंपेन से अपने को अलग करने का फैसला तो कर लिया लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा उबाल मार रही थी। जो नीतीश के साथ रहते हुए जद(यू) में वह पूरी नहीं कर पाए थे। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात कर पंजाब में कांग्रेस के साथ कैंपेन करने पर विचार किया लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया। अब किशोर शरद पवार के साथ हैं।

PRASHANT KISHORE

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार में तीन सहयोगी हैं। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी। प्रशांत किशोर को यहीं अपने लिए उम्मीद की किरण नजर आई और उन्होंने शरद पवार से मुलाकात की तो कयास लगाए जाने लगे थे। लेकिन तब यह कहा गया कि यह मुलाकात राजनीतिक नहीं है। वहीं इस सब के बीच कांग्रेस ने राज्य मे शिवसेना और एनसीपी से अलग होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली तो सबको संशय हो गया कि यह मुलाकात राजनीतिक ही है। क्योंकि इससे पहले शरद पवार के नेतृत्व में एक फ्रंट बनाकर भाजपा के खिलाफ लड़ाई करने की बात सामने आ चुकी थी। कांग्रेस को दरकिनार कर पूरे देश में भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का काम शुरू हो चुका था। यह सब पहले से ही प्रशांत किशोर की सोच का हिस्सा था। क्योंकि किशोर मानते थे कि ममता के नाम पर भले सभी राजनीतिक दल साथ नहीं आए लेकिन भाजपा के खिलाफ शरद पवार के नेतृत्व में सभी राजनीतिक दलों को एक बार फिर से इकट्ठा किया जा सकता है।

Opposition leaders with sonia gandhi

आज एक बार फिर दिल्ली में प्रशांत किशोर और शरद पवार की सीक्रेट बैठक हुई तो इस पूरी बात को ज्यादा बल मिल गया। कांग्रेस की चिंता इस पूरे प्रकरण ने बढ़ा दी। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से विपक्षी पार्टियों को एकजुट करना शुरू कर दिया। सोमवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात करने के बाद पवार ने मंगलवार दोपहर 4 बजे राष्ट्र मंच की बैठक बुलाई। राष्ट्र मंच की नींव 2018 में यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ रखी थी।

Sharad Pawar and Rahul Gandhi

शरद पवार 15 दिनों में 2 बार प्रशांत किशोर से मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले 11 जून को भी पवार के मुंबई स्थित घर पर दोनों की मीटिंग हो चुकी है। कोरोना महामारी के बाद पहली बार विपक्षी पार्टियों के नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की बजाए एक जगह इकट्‌ठा होकर मीटिंग करेंगे। राष्ट्र मंच के बैनर तले हो रही बैठक में 15 दलों के नेता शामिल हो सकते हैं। इसमें यशवंत सिन्हा, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, पवन वर्मा समेत कई और नेताओं के आने की संभावना है। राष्ट्र मंच की बैठक में NCP अध्यक्ष शरद पवार पहली बार हिस्सा लेंगे। फिलहाल ये मंच राजनीतिक मोर्चा नहीं है, लेकिन भविष्य में इसके तीसरा मोर्चा बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

sonia gandhi and sharad pawar 1

एक तरफ राष्ट्र मंच के बैनर तले विपक्ष एकजुट हो रहा है, वहीं कांग्रेस अब अकेले दम पर अलग राह बनाती दिख रही है। शरद पवार के घर पर मंगलवार को राष्ट्र मंच की बैठक होगी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 24 जून को पार्टी के सीनियर नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा होगी और पार्टी महासचिव और प्रदेश प्रभारी शामिल होंगे। सूत्रों ने बताया कि इस डिजिटल बैठक में कांग्रेस के नेता पार्टी के प्रस्तावित संपर्क अभियान पर भी चर्चा करेंगे। ऐसे में कांग्रेस को साफ लगने लगा है कि उनके खिलाफ एक अलग मोर्चा खड़ा करने की कोशिश हो रही है अगर विपक्ष के दल एकजुट होने में कामयाब होते हैं तो कांग्रेस की बची खुची साख बी देशभर में समाप्त हो जाएगी।

sonia sharad

कांग्रेस पहले से ही किसी और दल की अगुवाई में चुनावी समर में उतरने को तैयार नहीं रही है। वह भले विपक्षी एकता की बात कर रही हो लेकिन उनका मानना है कि इस पूरे गुट का नेतृत्व कांग्रेस खासकर गांधी परिवार के लोग हीं करें। जबकि विपक्ष के कई दल इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस से अलग एक धड़ा तैयार करने की कवायद तेज कर दी गई है। जो कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य के लिए चिंता का सबब बन रहा है।