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Complaint Against Kejriwal & Kharge: राष्ट्रपति मुर्मू की जाति को आधार बनाकर की थी भड़काऊ बयानबाजी, खरगे और केजरीवाल के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत

Complaint Against Kejriwal & Kharge: खड़गे अपने इसी बयान को लेकर घिर गए हैं। दूसरी तरफ बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि दलित समाज पूछ रहा है कि क्या उन्हें अशुभ मानते हैं, इसलिए नहीं बुलाते? केजरीवाल का ये बयान कई मायनों में दलित और पिछड़े जातियों का अपमान करने वाला नजर आता है। अगर बीजेपी ऐसा सोचती तो एक आदिवासी को और एक दलित को राष्ट्रपति के पद पर नहीं बैठाती।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर जो बयान दिया था उसपर अब दोनों ही नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दोनों नेताओं के आलावा अन्य लोगों के विरुद्ध शनिवार को एक शिकायत दर्ज की गई है। ये नए संसद भवन के उद्घाटन के आयोजन के संबंध में है। इन दोनों नेताओं के ऊपर आरोप है कि अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जाति का हवाला दिया गया, जिससे समुदायों/समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया। इन दोनों ही नेताओं ने द्रौपदी मुर्मू की जाति को लेकर भड़काऊ बयान भी दिए थे। जोकि IPC की धारा 121,153A, 505 और 34 तहत अपराध की श्रेणी में गिने जाते हैं।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इससे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण नहीं दिए जाने को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोलने की कोशिश की थी। बीजेपी को निशाने पर लेने के लिए खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आधार बनाया। उन्होंने लगातार एक के बाद एक 4 ट्वीट कर सरकार को घेरा और कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार दलित और जनजातीय समुदायों से राष्ट्रपति केवल चुनावी कारणों से निर्धारित करती है। खरगे ने कहा कि जब शिलान्यास हुआ था तब तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी मोदी सरकार ने नहीं बुलाया था और अब जब उद्घाटन हो रहा है तब भी राष्ट्रपति से नहीं करवाया जा रहा है।

खड़गे अपने इसी बयान को लेकर घिर गए हैं। दूसरी तरफ बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि दलित समाज पूछ रहा है कि क्या उन्हें अशुभ मानते हैं, इसलिए नहीं बुलाते? केजरीवाल का ये बयान कई मायनों में दलित और पिछड़े जातियों का अपमान करने वाला नजर आता है। अगर बीजेपी ऐसा सोचती तो एक आदिवासी को और एक दलित को राष्ट्रपति के पद पर नहीं बैठाती।