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कांग्रेस के गुनाहों की सज़ा है पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें, मोदी सरकार को विरासत में मिला है 1.3 लाख करोड़ के ऑयल बांड का कर्ज!

Petrol And Deisel Price: पूर्व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस बोझ के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेवार ठहरा चुके हैं। उन्होंने भी तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए इस बोझ को ही मुख्य वजह करार दिया था।

नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को कम करने की मांग करने वालों के लिए इस सच्चाई को जानना बेहद जरूरी है। पेट्रोल और डीजल की ये बढ़ती कीमतें कांग्रेस के दौर के गुनाह का परिणाम है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि सरकार के उपर 1.3 लाख करोड़ का कर्ज है। ये कर्ज ऑयल बांड के रुप में है और कांग्रेस के जमाने का है। ये ऑयल बांड पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ज़माने में जारी किए गए थे। ऑयल बांड दरअसल ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कैश सब्सिडी के बदले में जारी किए जाते हैं। इनके जरिए इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसी कंपनियां किसी भी समय नकद उठा सकती हैं। इनके ब्याज और मैच्यौरिटी पर पुर्नभुगतान का जिम्मा सरकार का होता है। उस दौर में तेल कंपनियां अंतराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल के दामों से कम कीमत में तेल बेच रहीं थीं। सरकार इन कंपनियों को घाटे की क्षतिपूर्ति कर रही थी। कांग्रेसी सरकार के जमाने का यही पाप मोदी सरकार के सिर पर आ गया है। मोदी सरकार को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 20000 करोड़ का यही बोझ उठाना है। ये बोझ ऑयल बांड के पुर्नभुगतान और उन पर ब्याज के तौर पर है। अगले छह सालों में मोदी सरकार को 1.30 लाख करोड़ का ये बोझ उठाना है।

PM modi Petrol pump

पूर्व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस बोझ के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेवार ठहरा चुके हैं। उन्होंने भी तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए इस बोझ को ही मुख्य वजह करार दिया था। कांग्रेस के दौर की सरकार ने जो कई लाख करोड़ का बोझ विरासत में छोड़ा था, उसी का खामियाजा आज की सरकार को उठाना पड़ रहा है। भारत अपनी घरेलू जरूरत की पूर्ति के लिए 80 फीसदी तेल का आयात करना पड़ रहा है।

Petrol-Diesel
अगर आंकड़ों की बात करें तो 41,150 करोड़ के ऑयल बांड साल 2019 से 2024 के बीच मैच्योर होंगे। सरकार पिछले दशक से ही इन पर 10,000 करोड़ सालाना का ब्याज भुगतान कर रही है। ये वो सच्चाई है जिसे जानबूझकर आम जनता से छिपाया गया है।