नई दिल्ली। अगर आप रवायतों और अतीतों की कहानियों पर एतबार रखने वाले लोगों से देवभूमि उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में सवाल करेंगे तो बिना किसी अचरच के वो यह कहने में कोई गुरेज नहीं करेगा कि बीजेपी के लिए सियासी राह आसान नहीं रहेगी। पुष्कर सिंह धामी दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन नहीं हो पाएंगे। डूबने की कागार पर पहुंच चुकी कांग्रेस को सत्ता का सुख मिलेगा। वो इसलिए कहेगा क्योंकि सूबे का सियासी अतीत ही ऐसा रहा है। देवभूमि का सियासी अतीत इस बात की तस्दीक करने से गुरेज नहीं करता है कि सूबे में सत्ता परिवर्तन की रवायत हर दौर में जारी रहा है।
मतलब, कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी, ऐसे में देखे तो कांग्रेस अब सत्ता में वापसी करने जा रही है, क्योंकि वर्तमान मे बीजेपी की सरकार है, लेकिन आपको यह जाकर अचरज होगा कि सलाहकार रणनीतिकार लिमिटेड (सीसीएसएल) द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने जा रहे हैं। एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। प्रदेश के गठन से लेकर अब तक तक तो सत्ता परिवर्तन की ही रयावत देखने को मिली है । अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आगामी 2022 के विधानसभा में भी यही रवायत जारी रहती या पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री की गद्दी पर विराजमान होने में सफल हो पाते हैं।
जानें क्या कहती है सर्वे
बता दें कि सर्वे के मुताबिक, बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है। इस बार के चुनाव में बीजेपी 46 सीटों पर जीत हासिल करती हुई नजर आ रही है, तो वहीं 11 सीटें पराजित होती हुई भी दिख रही है। उधर, अगर कांग्रेस की बात करें तो उसके खाते में 22 सीटें जाने बात कही गई है, जबकि पहली मर्तबा देवभूमि की चुनावी कुश्ती में अपना दांव आजमाने जा रही आम आदमी पार्टी की झोली में महज 3 सीटें जाती हुई नजर आ रही है। ध्यान रहे कि यह सर्वे आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 70 सीटों पर 10 दिसंबर से लेकर 25 जनवरी के बीच के जनता के मिजाज को देखते हुए जारी की गई है।
वोट शेयर के मामले में भी, 2017 के चुनावों की तुलना में भाजपा की चुनावी किस्मत में गिरावट आ रही है। लेकिन, करीब 40% वोट शेयर के साथ, यह मतदाताओं की सबसे पसंदीदा पसंद बनी हुई है। कांग्रेस के वोट शेयर में 1.5% की बढ़ोतरी होगी।
लेकिन यह AAP है जिसे एक बड़ा आश्चर्य होता हुआ देखा जा रहा है। उधर, गढ़वाल में, भाजपा की संख्या 34 सीटों (2017) से घटकर 28 हो गई है, जबकि कुमाऊं क्षेत्र में, संख्या 23 से 18 सीटों तक गिरने की संभावना है। कांग्रेस के लिए, यह गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में क्रमशः 5 और 6 का लाभ है।