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Modi Surname Case: मोदी सरनेम मामले में नहीं मिली राहुल को HC से कोई राहत, तो प्रियंका ने किया लंबा-चौड़ा पोस्ट, जानें क्या बोलीं कांग्रेस नेत्री?

Modi Surname Case: इस मामले में राहुल के साथ भी यही हुआ है। ध्यान दें कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी राहुल को कोई राहत नहीं मिली, तो वो आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत मोदी को घेरने की तैयारी में विपक्षी गोलबंदी की तैयारी में जुट चुके हैं।

नई दिल्ली। मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि, अब उनके पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प है। अब सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है? यह देखने वाली बात होगी। बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद चौतऱफा प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बीजेपी की तरफ से राहुल पर निशाना साधा गया है, तो वहीं प्रियंका गांधी अपने भाई के बचाव में उतर गई और विश्वास जताया कि आगामी दिनों में सत्य की ही जीत होगी। इस संदर्भ में उन्होंने ट्विटर पर एक लंबा पोस्ट लिखा है, जिसमें विस्तारपूर्वक अपनी राय साझा की है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।

priyanka gandhi

क्या बोलीं प्रियंका गांधी?

गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहुल की याचिका खारिज किए जाने पर प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि, ‘”समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो
पथरीली ऊँची जमीन है? तो उसको तोड़ेंगे
समतल पीटे बिना समर की भूमि नहीं छोड़ेंगे
समर शेष है, चलो ज्योतियों के बरसाते तीर
खण्ड-खण्ड हो गिरे विषमता की काली जंजीर”

प्रियंका ने आगे कहा कि,’ राहुल गांधी जी इस अहंकारी सत्ता के सामने सत्य और जनता के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। अहंकारी सत्ता चाहती है कि जनता के हितों के सवाल न उठें, अहंकारी सत्ता चाहती है कि देश के लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाने वाले सवाल न उठें, अहंकारी सत्ता चाहती है कि उनसे महंगाई पर सवाल न पूछे जाएं, युवाओं के रोजगार पर कोई बात न हो, किसानों की भलाई की आवाज न उठे, महिलाओं के हक की बात न हो, श्रमिकों के सम्मान के सवाल को न उठाया जाए। अहंकारी सत्ता सच को दबाने के लिए हर हथकंडे आजमा रही है, जनता के हितों से जुड़े सवालों से भटकाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, छल, कपट: सब अपना रही है।

लेकिन, सत्य, सत्याग्रह, जनता की ताकत के सामने न तो सत्ता का अहंकार ज्यादा दिन टिकेगा और न ही सच्चाई पर झूठ का परदा। राहुल गांधी जी ने इस अहंकारी सत्ता के सामने जनता के हितों से जुड़े सवालों की ज्योति जलाकर रखी है। इसके लिए वे हर कीमत चुकाने को तैयार हैं और तमाम हमलों व अहंकारी भाजपा सरकार के हथकंडों के बावजूद एक सच्चे देशप्रेमी की तरह जनता से जुड़े सवालों को उठाने से पीछे नहीं हटे हैं। जनता का दर्द बांटने के कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं। सत्य की जीत होगी। जनता की आवाज जीतेगी।

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के कोलार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि आखिर सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते हैं? इस दौरान उन्होंने मेहुल चौकसी और नीरव मोदी का जिक्र किया था। ध्यान दें कि राहुल के इस बयान को विवादास्पद मानते हुए पूर्णेश मोदी नामक शख्स ने उनके विरोध में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए बीते दिनों गुजरात की निचली अदालत ने उन्हें चार की सजा सुनाई थी। वहीं, जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी राजनेता को किसी मामले में चार साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसके समक्ष दो समस्याएं पैदा हो जाती हैं। पहले तो यह कि उसकी संसद सदस्यता स्वत: रद कर दी जाती है और दूसरी यह कि उसके 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाती है।

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वहीं, इस मामले में राहुल के साथ भी यही हुआ। ध्यान दें कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी राहुल को कोई राहत नहीं मिली, तो वो आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत मोदी को घेरने की तैयारी में विपक्षी गोलबंदी की तैयारी में जुट चुके हैं। इसी सिलसिले में बीते दिनों राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 15 दल शामिल हुए थे, लेकिन बीजेपी ने इस बैठक पर चुटकी लेते हुए कहा था कि यह सिर्फ फोटो सेशन है।