नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस के भीतर ही मतभेद देखने को मिल रहे हैं। सियासी संग्राम के बीच पार्टी के भीतर एक राय ना होना, पार्टी के लिए ही खतरे से कम नहीं है। बता दें कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है लेकिन इन शर्तों पर कांग्रेस के भीतर ही एक राय नहीं है।
दरअसल पार्टी नहीं चाहती कि इस मुद्दे पर राज्यपाल से सीधे टकराव की स्थिति पैदा हो। इसके अलावा पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि अब आगे की रणनीति क्या होगी। राजस्थान संकट पर पार्टी की रणनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यपाल की शर्तों को लेकर पार्टी में दो राय है। कुछ नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को अपनी शर्तों पर कायम रहना चाहिए। जबकि कई दूसरे नेताओं की राय है कि हमे इस वक्त राज्यपाल की 21 दिन की राय को स्वीकार कर लेना चाहिए।
पार्टी का कहना है कि राजस्थान विधानसभा में कई बार 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा बुलाई गई है। 12वीं विधानसभा में दो बार, 13वीं विधानसभा में सात, चौदहवीं में एक और 15वीं विधानसभा में भी तीन बार अभी तक 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा का सत्र बुलाई गई है।
पार्टी के कई नेता मानते है कि इस लड़ाई को अदालत के बजाए राजनीतिक तौर पर लड़ना चाहिए। पार्टी की चिंता यह है इतने लंबे वक्त तक विधायको को एकजुट रखना मुश्किल होगा। पर पार्टी को यह जोखिम उठाते हुए राजनीतिक तौर पर इस लड़ाई को लड़ना चाहिए।
बता दें कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव को कुछ ‘बिंदुओं’ के साथ सरकार को वापस भेजा है और कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन ने स्पष्ट किया है कि राजभवन की विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई मंशा नहीं है।
राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है। इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था। राजभवन की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है।
राज्यपाल ने राज्य सरकार को संविधान के अनुच्छेद 174 के अंतर्गत तीन परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किए जाने हेतु कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया, ”राजभवन की विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा नहीं है।”