newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Rajasthan: राम दरबार वाले गेट को तोड़कर घिरी अशोक गहलोत सरकार तो कांग्रेस की खुली आंख, अब मांग रही माफी

वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा गया था, ‘सुजानगढ़ में गहलोत सरकार की “निशाचरी करतूत”!अंधेरी रात में भगवान राम और उनके दरबार की मूर्तियों पर गहलोत सरकार ने चलाया बुलडोजर।गहलोत जी, नहीं भूलेंगे हम…।‘

जयपुर। सालासर बालाजी धाम के रास्ते पर गेट गिराने के मामले में अशोक गहलोत सरकार के घिरने पर कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राम सिंह कस्वां ने कहा है कि सरकार इस मामले में गंभीर है और इसकी निंदा कांग्रेस करती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। कस्वां ने कहा कि राम दरबार की मूर्तियां लगे गेट को गिराना गलत है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने सीएम गहलोत से इस मामले में बात की है और जल्दी ही दोषियों पर कार्रवाई होगी। बता दें कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें बुलडोजरों के जरिए चुरू जिले के सुजानगढ़ में राम दरबार की मूर्तियों वाले गेट को गिराते देखा गया था। इसके बाद ही सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में घमासान मच गया था और सीएम अशोक गहलोत की जमकर आलोचना हो रही थी।

वीडियो वायरल होन के बाद राजस्थान बीजेपी ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा था। बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल से वायरल वीडियो भी पोस्ट किया था। वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा गया था, ‘सुजानगढ़ में गहलोत सरकार की “निशाचरी करतूत”!अंधेरी रात में भगवान राम और उनके दरबार की मूर्तियों पर गहलोत सरकार ने चलाया बुलडोजर।गहलोत जी, नहीं भूलेंगे हम…।’ इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए बीजेपी नेता सतीश पूनिया ने लिखा था कि कांग्रेस और अशोक गहलोत जी की नीति और नीयत…एक वो है जो श्री राम मंदिर बनाते हैं दूसरे वो हैं जो उसे कहीं भी निष्ठुरता से तोड़ते हैं… जो श्री राम का नहीं..वो किसी के काम का नहीं…।

वीडियो सामने आने के बाद आम हिंदुओं और हिंदू संगठनों में भी काफी रोष दिखाई दे रहा था। विरोध जताते हुए कई संगठनों ने सुजानगढ़-सालासर रोड को रविवार को जाम भी कर दिया था। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से जाम खुलवाया। अब चौतरफा घिरी अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस इस मामले से मचे बवाल से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अगर सरकार ने गेट गिराने के लिए नहीं कहा था, तो आखिर किस सरकारी अफसर ने ऐसा फैसला ले लिया ?