नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं को घेरकर किसान बैठे हैं। किसान लगातार इस मांग पर अड़े हैं कि तीनों कृषि कानूनों को पहले खारिज किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक कानून बनाया जाए तबी यह आंदोलन समाप्त होगा। किसान नेता राकेश टिकैत अब इस आंदोलन के पोस्टर बॉय बन गए हैं। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को संगठित करने की राकेश टिकैत पूरजोर कोशिश कर रहे हैं। सरकार के साथ बातचीत पर गतिरोध जारी है। इस सब के बीच किसान आंदोलन अब कमजोर पड़ता दिख रहा है। जहां सीमा को घेरकर किसान बैठे हैं वहां लगातार उनकी संख्या में कमी होती नजर आ रही है। ऐसे में किसान आंदोलन में एक बार फिर से जान फूंकने के लिहाज से राकेश टिकैत ने जो दावा किया है वह किसी के गले से नहीं उतर रही है।
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने अपने मंच से यह दावा किया है कि जल्द ही भाजपा के एक सांसद का इस्तीफा किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि कानूनों के खिलाफ देंगे। राकेश टिकैत ने ये दावा तो कर दिया लेकिन उन्होंने भाजपा के उस सांसद का नाम नहीं बताया। राकेश टिकैत ने मंच से यह तक कह दिया कि संसद में जितने भाजपा सांसद अभी संख्या में मौजूद हैं यह किसान आदोलन उतने दिनों तक जारी रहेगा।
राकेश टिकैत के इस दावे के बाद से लोग भाजपा के उस सांसद के नाम को लेकर अटकलें लगाना शुरू कर चुके हैं। लोग तो यह तक मानने लगे हैं कि पश्चिमी यूपी का कोई सांसद किसानों के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। लेकिन वहीं कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि यह शुरुआत पंजाब या हरियाणा से हो सकती है।
आपको बता दें किसान आंदोलन को लेकर यह दावा लगातार किया जा रहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन को विदेश फंडिंग मिल रही है और कई राष्ट्रविरोधी ताकतों का भी इस आंदोलन को समर्थन प्राप्त है। यह दावा तब सही होता नजर आया था जब 26 जनवरी के दिन प्रदर्शनकारी लाल किले पर पहुंच गए थे और वहां पर निशान साहिब लहराया था। इसके बाद यह आंदोलन एकदम कमजोर पड़ गया था।
इस सब के बीच विदेशी लोगों के द्वारा एक टूलकिट की शेयरिंग ने तो इस पूरे आंदोलन को बदनाम करके रख दिया था। वहीं सरकार किसानों से इस बात को बार-बार कह रही है कि इन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा। अगर उनको इससे कोई समस्या है तो कानून में संशोधन किया जाएगा। साथ ही सरकार ने 18 महीने तक इस कानून को होल्ड पर डालने की बात भी किसानों के सामने रखी थी। जिसपर कोई भी किसान यूनियन तैयार नहीं हुआ था। इसके बाद से किसान यूनियनों के बीच भी फूट साफ दिखने लगी है। किसान नेता राकेश टिकैत जिस सड़क को घेरकर बैठे हैं वहां से लाखों लोग रोज गुजरकर अपने काम के लिए दिल्ली की सीमा में आते हैं। लेकिन राकेश टिकैत को उनकी परेशानी नजर नहीं आती। ऐसे में सवाल यह उठता है कि दिन-ब-दिन कमजोर पड़ते आंदोलन में जान फूंकने के लिए तो कहीं राकेश टिकैत भाजपा सांसद के इस्तीफे का दावा तो नहीं कर रहे हैं? और अगर यह दावा सही है तो फिर यह सरकार के लिए भी चिंता का सबब है।