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राम मंदिर पर रंजन गोगोई का बड़ा बयान- कहा मेरा नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का था फैसला

Ram Mandir verdict: इस कार्यक्रम में शामिल हुए अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा कि जिस तरह से भगवान श्री राम का जन्म रावण का संहार करने के लिए हुआ था और भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंश का वध करने के लिए हुआ था

नई दिल्ली। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कराने हेतु अपना अभूतपूर्व फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई केदारघाट स्थित करपात्री धाम में अयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में अपने ऐतिहासिक फैसले को स्मरण करते हुए कहा कि राम मंदिर का फैसला किसी जाति, धर्म के दायरे में रहकर नहीं, अपितु तत्थों व संविधान के दायरे में रहकर सुनाया गया था। उन्होंने कहा कि किसी भी न्यायामूर्ति का कोई जाति धर्म नहीं होता है। वह किसी भी संदर्भ में कोई भी फैसला कानून व संविधान के नियमों के अनरूप ही देता है और राम मंदिर के विषय में भी हुआ था। बता दें कि वर्ष 2019  में उन्होंने राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में 700 पृष्ठों के साथ फैसला सुनाया था। यह फैसला काफी चिंतन-मंथन के परिणाम के बाद सुनाया गया था।

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वहीं, इस कार्यक्रम में शामिल हुए अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा कि जिस तरह से भगवान श्री राम का जन्म रावण का संहार करने के लिए हुआ था और भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंश का वध करने के लिए हुआ था, ठीक उसी प्रकार से जस्टिस रंजन गोगोई जी का जन्म राम मंदिर निर्माण में अभूतपूर्व फैसला सुनाने के लिए हुआ था। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म हमेशा जस्टिस रंजन गेगोई जी का ऋणी रहेगा। राम मंदिर का निर्माण होने से सनातन धर्म के लोगों को नई उर्जा मिली है। उन्होंने कहा कि जिस निडरता से उन्होंने राम मंदिर फैसला सुनाया है, उससे यह जाहिर होता है कि वे आज भी युवा हैं।

युवाओं के संदर्भ में व्यक्त किए गए वक्तव्य   

संबोधन के दौरान युवाओं का भी जिक्र किया गया। भारत में किसी भी अन्य देशों की तुलना में अधिक संख्या में युवा हैं। इसी क्रम में स्वामी दिव्यास्वरूप ने अपने संबोधन में कहा कि नौजवानों का श्रम और वरिष्ठ का अनुभव भारत को विकसित करने की दिशा में उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश को सोने की चिड़िया बनाने हेतु आगे आकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में युवायों की संख्या अत्याधिक है, लिहाजा हमें आगे आकर काम करना होगा। बता दें कि कार्यक्रम में शामिल हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्ययाधीश का 51 किलो की माला पहनाकर  अभिनंदन किया गया है। वहीं, राम मंदिर निर्माण की दिशा में दिया गया पूर्व मुख्य न्यायाधीश का बयान अभी काफी सुर्खियों में है। लोग सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।