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Sengol Controversy: ‘भारत की लोकतांत्रिक आजादी का प्रतीक है सेंगोल’, स्मृति ईरानी का कांग्रेस पर तंज

Sengol Controversy: स्मृति ईरानी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, सेंगोल (राजदंड) भारत की लोकतांत्रिक आजादी का प्रतीक है, उस प्रतीक को जो हमारे स्वर्णिम इतिहास का एक विशिष्ट अंग है। गांधी खानदान ने एक म्यूजियम के किसी अंधेरे कोने में नेहरू जी की छड़ी के रूप में वर्षों वर्ष तक रख रखा था।

नई दिल्ली। पहले फिजूलखर्ची का आरोप, फिर अशोक स्तंभ को लेकर विवाद और उद्घाटन की तारीख पर घमासान इतने से भी मन नहीं भरा तो इसका उद्घाटन कौन करे इसपर विवाद। अब सेंगोल को लेकर बवाल। आखिर नई संसद को लेकर कितने विवाद होंगे। 2 दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने हवाला दिया कि 1947 में देश की आजादी के वक्त भी पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सौंपकर सत्ता हस्तांतरण किया गया। उसी दिन से सेंगोल को लेकर बखेड़ा शुरू हो गया। सेंगोल पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। भाजपा ने दावा किया कि 1947 में ब्रिटिश सरकार ने भारत को सत्ता हस्तांतरण के तौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सौंपने का प्रतीक माना था। वहीं कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के इस दावे को नकार दिया है। सेंगोल को लेकर विवाद अब और बढ़ता जा रहा है। सेंगोल को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस और गांधी परिवार को निशाने पर लिया है।

स्मृति ईरानी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, सेंगोल (राजदंड) भारत की लोकतांत्रिक आजादी का प्रतीक है, उस प्रतीक को जो हमारे स्वर्णिम इतिहास का एक विशिष्ट अंग है। गांधी खानदान ने एक म्यूजियम के किसी अंधेरे कोने में नेहरू जी की छड़ी के रूप में वर्षों वर्ष तक रख रखा था। मैं आज हिंदुस्तान के हर नागरिकों से पूछना चाहती हूं। धर्म आस्था, लोकतंत्र, संवैधानिक प्रणाली की एक विशिष्ट प्रमाण को इस प्रकार से वकिंग स्टिक बताना। ये नहीं दर्शाता कि गांधी खानदान वाकई में हमारे देश के इतिहास, हमारे देश के लोकतंत्र के बारे में क्या सोचता है। इसलिए गांधी खानदान का खुद और खुद से संबंधित लोगों को प्रेरित करना कि नए संसद भवन के उद्घाटन विरोध करे। ये हमारे लिए कोई आश्चर्यचकित वाली बात नहीं है।

बता दें कि एक तरफ जहां नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासत देखने को मिल रही है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई संसद देश को सौंपने जा रहे है। वहीं 20 विपक्षी दलों ने इस उद्घाटन समारोह से दूर बनाने का फैसला किया। वहीं एनडीए के समर्थन में 25 दल साथ आए है इन दलों ने कार्यक्रम में जाने का निर्णय लिया है।