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PM मोदी के नेतृत्व में काशी के बदलाव की क्रांतिकारी योजना, दिखेगा महादेव की नगरी का ‘अलौकिक’ नजारा

काशी विश्वनाथ मंदिर को मुस्लिम हमलावरों ने बार-बार क्षतिग्रस्त किया । इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गोरी द्वारा तोड़ा गया था। इसे फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया।

नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरु किया एक ऐसा ऐतिहासिक प्रोजेक्ट है, जो देश की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी के ऐतिहासिक और धार्मिक गौरव को पुनर्जीवित करने में मील का पत्थर साबित होगा। आइये आज हम आपको काशी के कायाकल्प की पूरी कहानी समझाते हैं!

पीएम मोदी ने 2019 में रखी थी बदलाव की नींव:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया था। पीएम मोदी वाराणसी से दो बार सांसद चुने गए हैं। जब पीएम मोदी वाराणसी से पहली बार सांसद बनें, तब उन्होंने इस प्रसिद्ध मंदिर के सौन्दर्यीकरण के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी।जिसे लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। पीएम मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं। हालांकि, इसपर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है ।

काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर में प्राचीन मंदिर संरक्षित:
आपने अक्सर सुना होगा कि मंदिरों के जीर्णोद्धार के समय मंदिरों का असल स्वरूप परिवर्तित किया जाता है, उनके मूल स्वरूप के साथ छेद छाड़ होती है लेकिन काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर में प्राचीन मंदिरों को संरक्षित रखा जा रहा है।काशी विश्वनाथ परिसर में लगभग 60 छोटे-बड़े मंदिर सामने आए थे, उनमें से 17 मंदिरों को वैदिक रीति रिवाज के साथ पुन: स्थापित किया
जाएगा। जो बाबा विश्वनाथ के मूल स्वरूप को वापस लाने में सहायक सिद्ध होंगे। यह कदम मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं, बल्कि उनके असली स्वरूप में उन्हें वापस स्थापित करने का प्रयास है ।

अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन आसान:
काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं । काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के बनने से श्रद्धालुओं को अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन में काफी आसानी होगी।इसके बाद उन्हें लंबी लाइनों में नहीं लगना होगा। श्रद्धालु गंगा स्‍नान के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्‍वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे। यह परियोजना मंदिर को गंगा के घाटों से जोड़ती है, जिसमें लगभग 320 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा एक पक्का पैदल मार्ग है। काशी विश्वनाथ मंदिर अब सीधे गंगा तट से जुड़ चुका है। अब श्रद्धालु सीधे गंगा नदी में स्नान या आचमन करके काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

संकरी गलियों से श्रद्धालुओं को मुक्ति:
काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री सुविधा केन्द, पर्यटक सुविधा केन्द्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वैदिक केन्द्र, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन बनाया जा रहा है।बताया जा रहा है कि निर्माण के बाद इस विशाल गलियारे में 2 लाख श्रद्धालु जुट सकेंगे।कॉरिडोर बन जाने पर श्रद्धालुओं को संकरी गलियों से विश्‍वनाथ मंदिर तक पहुंचने से मुक्ति मिल जाएगी।

महादेव की नगरी का अलौकिक नजारा:
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की इमारत में सात विशेष पत्थरों को लगाया जा रहा है। इनमें लाल पत्‍थर, बालेश्वर स्टोन, मकराना मार्बल, कोटा ग्रेनाइट और मैडोना स्टोन मुख्य रूप से शामिल हैं । 50,200 वर्ग मीटर जमीन में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद महादेव की नगरी का अलौकिक नजारा दिखेगा ।

काशी का कायाकल्प, पीए मोदी की प्राथमिकता:
भारत की आध्यात्मिक नगरी वाराणसी को विश्व के प्राचीन शहरों में एक माना जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। यह स्थान शिव और पार्वती का आदि स्थान है, इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात से केंद्र की राजनीति में आए तो उन्‍होंने संसदीय क्षेत्र के रूप में इसी जगह को चुना।

वाराणसी के आधात्मिक महत्व और इसकी सांस्कृति विरासत को बनाए रखने के लिए, काशी का सौंदर्यीकरण आवश्यक था। इसी वजह से काशी का कायाकल्प प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की प्राथमिकता है। वैसे तो काशी नगरी में 18 हजार करोड़ की परियोजनाएं का लोकार्पण और शिलान्यास पिछले छह वर्षों में हुआ है लेकिन काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर इन परियोजनाओं में सबसे अहम है।

मुस्लिम हमलावरों ने बार-बार किया हमला:
काशी विश्वनाथ मंदिर को मुस्लिम हमलावरों ने बार-बार क्षतिग्रस्त किया । इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गोरी द्वारा तोड़ा गया था। इसे फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया। पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।

 

इस भव्य मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी, लेकिन हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण शाहजहां की सेना विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को नहीं तोड़ सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए । काशी विश्वनाथ मंदिर का भी 1780 में कराया निर्माण वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को नया स्वरूप देने में मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर का महत्वपूर्ण योगदान था । काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में अहिल्याबाई ने ही करवाया
था ।

मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए महारानी अहिल्याबाई होलकर का जिक्र करते हए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था ‘आज मैं लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को भी प्रणाम करता हूं, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि काशी कॉरिडोर के लोकार्पण समारोह में, काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास और रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा इस मंदिर के प्रथम पुनरुद्धार की कहानी और इतिहास को भी दिखाया
जाएगा ।