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Maharashtra: शिंदे की याचिका पर SC का एक्शन, कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर उठाए सवाल, इतने दिनों में मांगा सबसे जवाब

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना इसमें नए-नए तर्क देखने को मिल रहे हैं। उद्धव की सीएम कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीतिक क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना इसमें नए-नए तर्क देखने को मिल रहे हैं। उद्धव की सीएम कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि अब राज्य में जारी रजानीतिक घमासान के बीच एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने उद्धव गुट की ओर से विधानसभा उपाध्यक्ष से बागी विधायकों को अयोग्य करने के निर्देश को चुनौती दी है। इसके साथ ही अजय कुमार चौधरी को विधायक दल का नेता चुने जाने को भी चुनौती दी है।

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वहीं, शिंदे की याचिका कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें शिंदे पक्ष के वकील की ओर से विभिन्न पक्ष रखे गए। सुनवाई के दौरान कोर्ट में संजय राउत के विवादास्पद टिप्पणी का भी जिक्र किया गया। वहीं, शिंदे के वकील ने विद्रोही विधायकों की जान को खतरा बताया। आइए, आपको बताते हैं कि आखिर कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ…और शिंदे की याचिका के दृष्टिगत कोर्ट का क्या रुख रहा।

शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, अजय चौधरी, सुनील प्रभु, केंद्र सरकार के विरुद्ध नोटिस जारी किया और इन सभी से तीन दिनों दरम्यान जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। उधर, अजय चौधरी को जवाब दाखिल करना होगा कि आखिर बिना संख्याबल के कैसे वे विधायक दल के नेता बन गए। बता दें कि कोर्ट ने इन सभी को तीन दिन के दरम्यान जवाब दाखिल करने को कहा है। वही, अब इस पूरे मामले को लेकर आगामी 11 जुलाई को सुनवाई होगी। लेकिन, उससे पहले सभी पक्षों को तीन दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करना होगा।

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वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने धवन से कहा कि आप डिटेल हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। उधऱ, अजय कामत ने कहा कि इस मामले को हाईकोर्ट भेजा जाना चाहिए, जहां पर इस लेकर उचित सुनवाई संंभंव है। फिलहाल, मौजूदा स्थिति को देखकर लग रहा है कि किसी का भी पक्ष कमजोर नहीं है। उधर, डिप्टी स्पीकर की ओर से वकील राजीव धवन दलीलें देना शुरू कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट की ओर से कहा गया है कि हमने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, मगर अभी तक उस पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया और तो ऐसे में आखिर वो कैसे कोई विधायी कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं, जिस पर कोर्ट में राजीव धवन ने अहम टिप्पणी की है, जिसमें  उन्होंने कहा कि शिंदे गुट की ओर से दाखिल किया गया अविश्वास प्रस्ताव किसी अधिकृत ईमेल आईडी से नहीं भेजा गया था, लेकिन शिंदे गुट के वकील की ओर से कहा गया है कि वकील विशाल तिवारी द्वारा डिप्टी स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था।

जिस तरह से शिंदे गुट की ओर से विधानसभा स्पीकर को नोटिस दिए जाने को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उस पर सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि डिप्टी स्पीकर को नोटिस देना कार्यवाही का हिस्सा है। जिसे संदिग्धता भरी निगाहों से देखना अनुचित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए हैं। क्या उन्होंने बागी विधायकों के विरुद्ध आए नोटिस को रद्द कर दिया था। महाराष्ट्र की राजनीति में जारी राजनीतिक घमासान में डिप्टी स्पीकर की भूमिका निष्पक्ष मालूम पड़ती है। बता दें कि यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने की है। सुप्रीम कोर्ट ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या डिप्टी स्पीकर ने खुद ही नोटिस रद्द कर दिया था। उधर, उद्धव गुट के वकील की ओर से कहा जा रहा है कि डिप्टी स्पीकर की कार्यशैली निष्पक्ष नहीं है। उनका रवैया पूर्णत: भेदभावपूर्ण है। उनका एकमात्र ध्येय महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराना है। वहीं, सिंघवी ने कहा कि एकनाथ शिंदे की जान को खतरा होने की बात पूरी तरह से निराधार है।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को उनके पद से अपदस्थ नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। आज तक भारतीय राजनीति में ऐसी कोई भी नजीर देखने को नहीं मिली है। सिंघवी ने कहा कि पहले आप डिप्टी स्पीकर को काम करने दीजिए, इसके बाद अगर आपको कोई आपत्ति महसूस होती है, तो आप कोर्ट का रूख कर सकते हैं। उद्धव ठाकरे की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी दलील दी, जिसमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बिल्कुल सार्थक है कि आखिर शिंदे कैंप ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना क्यों नहीं उचित समझा। आखिर आप सीधा सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए। सिंघवी ने कहा कि आखिर क्यों बिना किसी कारण सीधा सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। इस दौरान उन्होंने संविधान की मुख्तलिफ धाराओं का हवाला देकर डिप्टी स्पीकर के पावर का जिक्र किया है। उधर, सिंघवी ने कहा कि शिंदे कैंप द्वारा सीधा सुप्रीम कोर्ट का रुख करना गलत है।

शिंदे गुट के वकील ने कहा कि जब तक विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता है, तब तक विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर फैसला लेने का कोई नैतिक हक नहीं है। शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का रवैया भेदभाव पूर्ण है। उधर, शिंदे के गुट के वकील की ओर से कहा गया है कि पहले विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को हटाइए। क्योंकि डिप्टी स्पीकर को हटाए बिना विधायकों की अयोग्यता पर कार्रवाई करना उचित नहीं होगा, क्योंकि संविधान के दृष्टिकोण गंभीर पूर्वाग्रह होगा। शिंदे गुट के वकील की ओर से कहा गया है कि पूरी कोशिश की जानी चाहिए कि संवैधानिक प्रक्रिया बनी रहे।

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इस बीच शिंदे गुट के वकील की ओर से कहा गया है कि आखिर विधानसभा के डिप्टी स्पीकर फ्लोर टेस्ट से क्यों डर रहे हैं। यह अहम टिप्पणी शिंदे गुट के वकील की ओर से की गई है। अब डिप्टी  स्पीकर पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उन्होंने फ्लोर टेस्ट के लिए क्यों नहीं बुलाया है। अगर आपके पास संख्या बल है, तो आप फ्लोट टेस्ट के लिए सभी विधायकों को बुलाइए। उधर, कोर्ट में शिंदे के वकील की ओर पक्ष रखा जा रहा है। जिसमें कोर्ट के समक्ष बागी विधायकों की जान को खतरा बताया गया गया है। बता दें कि बीते दिनों खबर आई थी कि उद्धव गुट के समर्थकों ने शिंदे गुट के विधायकों पर हमला किया था। शिंदे गुट के विधायकों के घरों और कार्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है। जिसके बाद केंद्र की तरफ से अब इन्हें वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है। बता दें कि 15 बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल पेश हुए। उन्होंने कहा, डिप्टी स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि बागी विधायकों के घरों पर हमला किया जा रहा है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि अब मुंबई रहने लायक नहीं है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के विधायकों को हाई कोर्ट में जाने की भी बात कही थी। फिलहाल इस पूरे मसले को लेकर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख आगामी 11 जुलाई की मुकर्रर की है। ऐसे में देखना होगा कि कोर्ट की तरफ से क्या कुछ फैसला लिया जाता है।