नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना का सर्वे जारी करके क्या कोई बड़ा सियासी दांव चल दिया है? क्या इस दांव के लपेटे में आकर बीजेपी को मुंह की खानी पड़ेगी? फिलहाल तो इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना मुनासिब नहीं है, लेकिन आपको बता दें कि जातिगत जनगणना को लेकर मचा हाय-तौबा थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि पूरा माजरा सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर दस्तक दे चुका है। आज इस पर सुनवाई भी हुई। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में आया?, तो जरा धैर्य रखिए, क्योंकि फैसला अभी तक किसी के पक्ष में भी फैसला नहीं आया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब इस मसले पर सुनवाई जनवरी में होगी। तो कुल मिलाकर यह कहना मुनासिब रहेगा कि आज कुछ हुआ नहीं। सबकुछ ठंडा ही रहा, लेकिन इस पूरे मसले पर जिसने हिंदुस्तान की राजनीति में बड़े-बड़े सियासी सूरमाओं की नींद उड़ाकर रखी। उस पर जजों की टीका-टिप्पणी क्या रही। आइए, जरा आगे इसे विस्तार से जान लेते हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना ने जातिगत जनगणना पर सुनवाई करते हुए दो टूक कह दिया कि हम सरकार को काम करने से नहीं रोक सकते हैं। सरकार किसी भी मुद्दे पर कोई भी नीति बनाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। हालांकि, इस पर हाईकोर्ट ने आदेश सुनाया है। जिसे हम विस्तार से सुनना चाहेंगे। सरकारी आंकड़े जुटाना जरूरी है जिसे हम विस्तार सुनेंगे। वहीं, केंद्र का पक्ष रखते हुए वकील ने कहा कि सुनवाई जारी रहने के दौरान ही बिहार सरकार ने आंकड़े जारी कर दिए, जो कि उचित नहीं है। इस पर जज ने कहा कि हमने इस पर रोक नहीं लगाई थी। जज ने कहा कि अब हम इस पर नोटिस जारी कर रहे हैं। इसके बाद वकील ने कहा कि कम से कम यथास्थिति जारी रखने का, तो आदेश दे दीजिए। इस पर जज ने कहा अभी हम इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं दे सकते हैं। मामले की सुनवाई अब जनवरी में होगी। तभी किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
सनद रहे कि बीते दिनों बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के सर्वे जारी किए थे। जिससे स्पष्ट हुआ था कि प्रदेश में किस जाति की कितनी आबादी है। इसके बाद नया शिगूफा छोड़ा गया कि जिसकी जितनी आबादी उसका उतना हक। जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने जोरदार प्रहार किया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए कहा कि वो कहते थे कि देश के संसाधनों पर सबसे पहले हक अल्पसंख्यकों का है। इसके बाद पीएम मोदी ने यह भी कहा कि विपक्षी दल सियासी हित के लिए देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है। उधर, नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना के सर्वे को अपनी सरकार की जीत के रूप में रेखांकित करने की कोशिश की थी। फिलहाल, मसला कोर्ट में विचाराधीन है, तो इस पर ज्यादा टिप्पणी करना उचित नहीं रहेगा।