newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Lucknow: अखिलेश यादव के खिलाफ अब क्या कदम उठाएंगे चाचा शिवपाल? कल करने जा रहे एलान

शिवपाल इससे पहले भी संकेतों में अखिलेश से नाराजगी जताते रहे हैं। उन्होंने अखिलेश का नाम लिए बगैर विनाशकाले विपरीत बुद्धि जैसी कहावत का इस्तेमाल किया था। वहीं, मंगलवार को ईद के दिन शिवपाल ने कहा था कि जिसे हमने चलना सिखाया, वो हमें रौंदता गया।

लखनऊ। कल यानी शुक्रवार का दिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सियासत पर भारी पड़ सकता है। अखिलेश से खफा उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल अपनी बात रखेंगे। इसके अलावा वो अखिलेश से चल रहे तनाव के सवालों पर भी बोल सकते हैं। माना जा रहा है कि शिवपाल कल साफ करेंगे कि सपा में वो रहना चाहते हैं या इससे अलग राह फिर से पकड़ने की उनकी मंशा है। इससे पहले शिवपाल सिंह ने आजम खान के मसले पर अखिलेश और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को कटघरे में खड़ा किया था। शिवपाल ने आजम से जेल में मुलाकात के बाद मीडिया से कहा था कि अगर मुलायम और अखिलेश चाहते, तो आजम इतने दिन तक जेल में न रहते।

shivpal yaday aazam khan

शिवपाल इससे पहले भी संकेतों में अखिलेश से नाराजगी जताते रहे हैं। उन्होंने अखिलेश का नाम लिए बगैर विनाशकाले विपरीत बुद्धि जैसी कहावत का इस्तेमाल किया था। वहीं, मंगलवार को ईद के दिन शिवपाल ने कहा था कि जिसे हमने चलना सिखाया, वो हमें रौंदता गया। शिवपाल ने ये भी कहा था कि उन्होंने अपने सम्मान के न्यूनतम बिंदु तक जाकर भी अखिलेश को संतुष्ट करने की कोशिश की। इसके बावजूद भी अगर उनकी नाराजगी है, तो सोचना चाहिए कि उसने किस स्तर तक दिल को चोट पहुंचाई होगी। अब देखना ये है कि शिवपाल सिंह कल क्या कहते हैं। हालांकि, बीते दिनों इन चर्चाओं ने भी काफी जोर पकड़ा था कि अखिलेश के चाचा बीजेपी में जाएंगे। इस पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा था कि अगर बीजेपी हमारे चाचा को लेना चाहती है, तो देर क्यों कर रही है।

अखिलेश और शिवपाल के बीच ये सियासी अदावत साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सामने आई थी। तब अखिलेश ने सपा के एक प्रोग्राम में सीधे शिवपाल को निशाना बनाया था। जिसके बाद तनातनी बढ़ी और शिवपाल ने अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) बना ली थी। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले वो अखिलेश के साथ आए थे। तब शिवपाल ने कहा था कि बड़े भाई मुलायम सिंह के कहने पर वो साथ आए हैं। बाद में शिवपाल ने बताया था कि उन्होंने अपने और समर्थकों के लिए 100 सीटें मांगी थीं, लेकिन अखिलेश ने सिर्फ 1 सीट ही उन्हें दी।