शिवसेना का UPA पर तंज, बताया NGO, राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर उठाए सवाल

Maharashtra: शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना के जरिए इशारों-इशारों में विपक्ष पर हमला बोला है। वहीं कांग्रेस को लेकर बड़ी बात कह डाली। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस को लेकर ऐसा बयान दे डाला जिसके कांग्रेस पार्टी की चिंता बढ़ जाएगी।

Avatar Written by: December 26, 2020 11:11 am

नई दिल्ली। शिवसेना (Shivsena) ने अपने संपादकीय सामना के जरिए इशारों-इशारों में विपक्ष पर हमला बोला है। वहीं कांग्रेस (Congress) को लेकर बड़ी बात कह डाली। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस को लेकर ऐसा बयान दे डाला जिसके कांग्रेस पार्टी की चिंता बढ़ जाएगी। एक तरफ जहां शिवसेना ने संपादकीय में परोक्ष रुप से यूपीए का नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad pawar) को सौंपने की वकालत कर डाली। तो दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की नेतृत्व क्षमता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं शिवसेना ने यूपीए को एनजीओ बता डाला। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के इस कदम का असर महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी सरकार पर पड़ता है या नहीं। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार का गठन किया है।

Congress Shivsena NCP

शिवसेना का कहना है कि जब तक यूपीए में सारे भाजपा विरोधी शामिल नहीं होते, तब तक विपक्ष मोदी के सामने बेअसर ही रहेगा। शिवसेना ने कहा, ‘प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया जाता है, राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है और महाराष्ट्र सरकार को काम करने नहीं दिया जा रहा। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। राहुल गांधी को लेकर संपादकीय में कहा गया है कि राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कहीं ना कहीं कुछ कमी है। बता दें कि बीते कुछ हफ्तों से यूपीए अध्यक्ष के नाम पर विपक्षी दलों में बहस जारी है। फिलहाल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) यूपीए की अध्यक्ष हैं।

Uddhav Thackrey Sanjay Raut

सामना ने लिखा गया है कि यूपीए नाम के एक राजनीतिक संगठन की कमान कांग्रेस के नेतृत्व में है। यूपीए वर्तमान में एक एनजीओ की तरह प्रतीत हो रहा है, यही वजह है कि इस गठबंधन में शामिल पार्टियां किसान आंदोलन को लेकर बेफिक्र हैं। एनसीपी के अलावा इस गठबंधन में शामिल किसी भी पार्टी ने मुखर होकर आवाज नहीं उठाई है।