जांच में हुआ बड़ा खुलासा, हर्ष मंदर ने अपने बाल संरक्षण गृह के बच्चों का इस्तेमाल CAA के खिलाफ प्रदर्शन में किया

देशभर में जब सीएए (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था तो एक नाम तब भी सुर्खियों में था और वह था पूर्व आईएएस अधिकारी और क​थित सेकुलर एक्टिविस्ट हर्ष मं​दर का। हर्ष मंदर बाल संरक्षण गृह (Child Protection Home) भी चलाते हैं। जिस संस्था के द्वारा ये बाल संरक्षण गृह चलाया जा रहा है उसका नाम है सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES) और हर्ष मंदर (Harsh Mander) इसके निदेशक हैं।

Avatar Written by: January 5, 2021 1:51 pm
harsh mandar

नई दिल्ली। देशभर में जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था तो एक नाम तब भी सुर्खियों में था और वह था पूर्व आईएएस अधिकारी और क​थित सेकुलर एक्टिविस्ट हर्ष मं​दर का। हर्ष मंदर बाल संरक्षण गृह भी चलाते हैं। जिस संस्था के द्वारा ये बाल संरक्षण गृह चलाया जा रहा है उसका नाम है सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES) और हर्ष मंदर इसके निदेशक हैं। इस संस्था के द्वारा दो बाल संरक्षण गृह दक्षिणी दिल्ली में चलाया जा रहा है। जिसका नाम- उम्मीद अमन घर जो लड़कों के लिए है और खुशी रेनबो होम जो लड़कियों के लिए है। अब इन दोनों बाल संरक्षण गृह के बारे में जो कुछ खुलासा हुआ है वह बेहद चौंकाने वाला है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इन बाल संरक्षण गृहों की जांच करने के बाद कई खुलासे किए हैं।

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इसमें एक खुलासा यह है कि यहां संरक्षण गृह में रह रहे बच्चों के मन में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति जहर भरा जाता है। इसके साथ ही एक खुलासा यह भी किया गया है कि सीएए के खिलाफ जब देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा था तो इन बाल संरक्षण गृह के बच्चों को इस आंदोलन में ले जाया जाता था और इसके लिए कई प्रतिबंधित इस्लामिक संगठनों के माध्यम से इसकी फंडिंग की जाती थी।

हर्ष मंदर का ये बाल संरक्षण गृह आखिर क्यों आया सुर्खियों में 

याद होगा की ये वही हर्ष मंदर हैं जिनका एक वीडियो सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान मंच से वायरल हुआ था जिसमें यह राम मंदिर पर आए फैसले के खिलाफ बोलते हुए कह रहे थे कि अब सड़क पर उतरने का समय है। फैसलों पर यकीन करने का नहीं। आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बाल संरक्षण गृहों की जांच के दौरान जब बच्चों से पूछताछ की तो उनकी तरफ से यह स्वीकार किया गया कि 2019 में हुए सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध में हुए प्रदर्शनों में इन लोगों को धरना स्थल पर ले जाया जाता था। इसके अलावा इस बात का खुलासा भी बच्चों के द्वारा किया गया कि यहां बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की भी कई घटनाएं हो चुकी हैं।

इसके साथ ही दिल्ली सरकार के द्वारा इस पूरे मामले पर उदासीन रवैया अपनाए जाने का भी खुलासा किया है। आयोग की तरफ से दिल्ली सरकार को इस पर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट के साथ एक महीने पहले लिखा गया था लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आपको बता दें कि दिल्ली में हर्ष मंदर द्वारा संचालित दो बाल संरक्षण गृह उम्मीद अमन जो कुतुबमीनार के पास है। इसमें वर्तमान में 129 लड़के रहते हैं। इसके अलावा ‘खुशी रेनबो’ नाम से एक बाल संरक्षण गृह ओखला में है। जिसमें 100 लड़कियां रहती हैं। इन दोनों ही बाल संरक्षण गृह के निदेशक हर्ष मंदर ही हैं।

दोनों बाल संरक्षण गृह में होता रहा है यौन शोषण

इससे पहले यहीं से 2012 में एक छोटे बच्चे के यौन उत्पीड़न की घटना की सूचना मिली थी। इस घटना के बाद बच्चे के परिवार वालों ने अदालत में याचिका दायर की थी और तब अदालत की दखलंदाजी के बाद परिवार के लोगों को उनका बच्चा वापस मिला था। इसके बाद भी बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला यहां नहीं रूका 2013 और 2016 में भी यहां ऐसी हीं घटनाएं हुईं।

Khushi Rainbow Home Harsh Mandar

बाल आयोग की टीम जब इन दोनों बाल संरक्षण गृहों में पहुंची तो वह देखकर हैरान थी कि यहां बड़ी ही दयनीय हालत में बच्चों को रखा जा रहा था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने इन दोनों बाल संरक्षण गृहों का दौरा 2020 के अक्टूबर महीने में किया था। वहां के हालत ऐसे थे कि वहां बच्चों को ‘पोटा केबिन’ और ‘टीन शेड’ में रखा जा रहा था इसके साथ ही बड़े और छोटे बच्चों के लिए अलग शौचालय तक की व्यवस्था तक नहीं थी। टीम ने जब इन दोनों बाल संरक्षण गृह के फंडिंग के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि दिल्ली सरकार के द्वारा इसे पैसा दिया जाता है। इसके अलावा विदेश से भी इस एनजीओ के लिए फंडिंग होती है। जिसमें कनाडा और नीदरलैंड प्रमुख है। इसके साथ ही इस बात का भी खुलासा हुआ कि इस एनजीओ को इस्लामिक संगठनों से भी बड़ी तादाद में फंड मुहैया होता है।

UMEED AMAN GHAR MEHRAULI HARSH MANDAR

हालांकि बाल आयोग की टीम ने जब हर्ष मंदर से इस बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि इन बाल संरक्षण गृहों से उनका कोई संबंध नहीं हैं। जबकि वह अभी भी इनके निदेशक हैं। इसके बाद दिल्ली पुलिस से इस मामले पर बाल आयोग की टीम ने एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखा है।

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