newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

दिल्ली दंगे की चार्जशीट में सीताराम येचुरी और योगेंद्र यादव जैसे बड़े नामों पर साजिश रचने का आरोप

15 जनवरी को सीलमपुर(Silampur) में हुए प्रदर्शन के बारे में फातिमा ने पुलिस के सामने खुलासा करते हुए कहा, “योजना के अनुसार भीड़ बढ़ने लगी थी। उमर खालिद(Umar Khalid), चंद्रशेखर रावण(Chandra Shekhar Ravan), योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी(Sitaram Yechury) और वकील महमूद प्राचा सहित बड़े नेता और वकील इस भीड़ को भड़काने के लिए आगे आने लगे।”

नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र (चार्जशीट) में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अन्य प्रमुख लोगों के नाम सामने आए हैं। मामले के संबंध में आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और गुलफिशा फातिमा द्वारा किए गए खुलासे एवं बयानों में प्रमुख हस्तियों का नाम लिया गया है। यह तीनों गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं।

Delhi Riots petrol
15 जनवरी को सीलमपुर में हुए प्रदर्शन के बारे में फातिमा ने पुलिस के सामने खुलासा करते हुए कहा, “योजना के अनुसार भीड़ बढ़ने लगी थी। उमर खालिद, चंद्रशेखर रावण, योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी और वकील महमूद प्राचा सहित बड़े नेता और वकील इस भीड़ को भड़काने के लिए आगे आने लगे।”

चार्जशीट के अनुसार, उन्होंने कहा, “प्राचा ने कहा कि प्रदर्शन में बैठना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है और बाकी नेताओं ने सीएए और एनआरसी को मुस्लिम विरोधी बताकर समुदाय में असंतोष की भावना को हवा दी।”


अर्थशास्त्री जयंती घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय का नाम भी आरोपपत्र में शामिल है। कलिता और नताशा नरवाल ने बयान में कहा कि उन्हें तीनों व्यक्तियों द्वारा सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध किए जाने और किसी भी हद तक जाने के लिए कहा गया था।

मामले में नाम आने के बाद येचुरी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “दिल्ली पुलिस भाजपा की केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय के नीचे काम करती है। उसकी ये गैर-कानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। वे विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं।”

Delhi riots
सीएए समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।