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Uttrakhand: पंजाब के बाद अब उत्तराखंड कांग्रेस में मचेगी महाभारत? हरीश रावत ने पोस्ट कर लिखा “बस, अब बहुत हो गया”

Uttrakhand: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जहां बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस कोशिश कर रही है लेकिन इसी बीच अब हरीश रावत ने पोस्ट लिखकर जो बातें लिखीं हैं उनसे इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

नई दिल्ली।  पूरे देश से कांग्रेस में कलह की खबरें सामने आ रही हैंपिछले कुछ दिनों से मामला थोड़ा शांत था तो अब उत्तराखंड कांग्रेस में बगावत की सुगबुगाहट तेज हो गई है।  आने वाले साल में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैकांग्रेस उत्तराखंड को जीतने की कोशिश में लगी हुई है और राहुल गांधी रैली भी कर चुके हैं लेकिन चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस के बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के तेवर अब कांग्रेस के के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते है अब हरीश रावत ने पोस्ट लिखकर अपना दुःख जाहिर किया है

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दरअसल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जहां बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस कोशिश कर रही है लेकिन इसी बीच अब हरीश रावत ने पोस्ट लिखकर जो बातें लिखीं हैं उनसे इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। आपको बता दें कि हरीश रावत ने एक पोस्ट लिख कर कहा है कि मैं आह भी भरता हूँ तो लोग खफा हो जाते हैं। यदि उत्तराखंड के भाई-बहन मुझसे प्यार जता देते हैं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं। मैंने पहले भी कहा है कि हम लाख कहें, लोकतंत्र की दुल्हन तो वही होगी जो जनता रुपी पिया के मन भायेगी। मैं तो केवल इतना भर कहना चाहता हूँ कि उत्तराखंड यदि मैं, आपके घर को आपके मान-सम्मान के अनुरूप ठीक से संभाल सकता हूँ तो मेरे समर्थन में जुटिये। राजनीति की डगर तो मेरा हाथ पकड़कर मुझे फिसलन और धक्का देने वाले, दोनों से बचाइये।

इतना ही नहीं, एक अन्य पोस्ट में हरीश रावत ने लिखा है कि है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है. सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि #हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूंँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि #भगवान_केदारनाथ  जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

अब चुनाव से पहले अगर कांग्रेस का एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ऐसी पोस्ट लिख रहे हैं तो इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इतना ही नहीं हरीश रावत ने नए वर्ष में नए रास्ते की तलाश करने की बात कर रहे हैं तो क्या इसका मतलब ये तो नहीं कि हरीश रावत ‘पाला’ बदलने की तैयारी में हैं?