नई दिल्ली। कांग्रेस की लगातार दुर्दशा होते देखकर ईडी की जांच के फेर में घिरीं पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी के सामने सरेंडर करने का लगता है मन बना लिया है। ये बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि ममता ने शनिवार को जब 22 विपक्षी दलों के नेताओं को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर एकराय बनाने की बात कही, तो सोनिया ने तुरंत ही इसे स्वीकार कर लिया। सोनिया ने सिर्फ ममता का प्रस्ताव ही स्वीकार नहीं किया। उन्होंने ममता बनर्जी और एनसीपी चीफ शरद पवार को फोन भी किया। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने ममता और पवार से कहा कि ये समय मतभेदों से ऊपर उठने का है और देश को बचाने के लिए कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर काम करेगी।
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक पार्टी की हालत लगातार खराब होते देखकर ही सोनिया गांधी ने राजस्थान में हुए तीन दिन के चिंतन शिविर में प्रस्ताव पास कराया था कि गठबंधन के लिए कांग्रेस राजी है। अब सोनिया गांधी राष्ट्रपति चुनाव के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार उतारकर विपक्ष की एकता को धराशायी नहीं करना चाहतीं। कांग्रेस के नेताओं को समझ आ गया है कि खुद को वापस पटरी पर लगाने के लिए बीजेपी को बेपटरी किए बगैर काम नहीं चलने वाला है। इसी वजह से ममता के ऑफर को सोनिया ने तत्काल स्वीकार कर लिया है। बता दें कि ममता ने ही 15 जून को विपक्षी नेताओं की बैठक दिल्ली में बुलाई है। इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, पिनरई विजयन, नवीन पटनायक, के. चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन और भगवंत मान समेत 22 नेताओं को चिट्ठी लिखी है।
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने वाला है। ऐसे में चुनाव आयोग ने नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग की तारीख तय की है। बीजेपी के अलावा विपक्ष ने भी अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। संसद में बीजेपी के पास कुल 772 सदस्यों में से बहुमत है। ज्यादातर राज्यों में भी एनडीए की सरकार है। साथ ही आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी गाहे-बगाहे बीजेपी की मदद करते रहे हैं। ऐसे में ममता की विपक्षी एकता का रथ कितना दौड़ पाता है, इस पर सभी की निगाह है।