नई दिल्ली। कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे और अब दिवंगत नेता अहमद पटेल के बीच साठगांठ से गुजरात के तत्कालीन सीएम रहे नरेंद्र मोदी को बदनाम कर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगा है। यह आरोप गुजरात पुलिस की एसआईटी ने लगाया है। इस आरोप की जद में सोनिया गांधी भी आ सकती हैं। इसकी वजह ये है कि अहमद पटेल उनके सबसे करीबी नेता रहे और किसी और कांग्रेस नेता को सोनिया का इतना करीबी नहीं माना जाता है।
दिल्ली की सियासत को जानने और समझने वाले लोगों को पता है कि अहमद पटेल की सलाह पर सोनिया चलती थीं। वहीं, सोनिया के लिए फैसले पार्टी के बाकी नेताओं तक अहमद पटेल के ही जरिए पहुंचते थे। यानी सोनिया के एकमात्र करीबी नेता अहमद पटेल थे। इसी वजह से उनको सोनिया ने अपना राजनीतिक सलाहकार बना रखा था। अहमद पटेल अब इस दुनिया में नहीं हैं। बीते साल कोरोना ने उनकी जान ले ली, लेकिन एसआईटी के खुलासे से सोनिया के लिए मुश्किल जरूर खड़ी हो गई है। संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले हुए इस खुलासे से दोनों सदनों में जमकर हंगामा मचने के भी बड़े आसार हैं।
काफी दिनों बाद ऐसा मौका बीजेपी को मिला है। इससे पहले कांग्रेस और विपक्षी दल किसान आंदोलन और पेगासस स्पाईवेयर समेत कई मुद्दों पर संसद सत्र के दौरान बीजेपी और मोदी को घेरते रहे हैं। इस बार कांग्रेस निशाने पर है। बीजेपी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वो सोनिया और कांग्रेस को निशाना बना रही है। सोनिया और राहुल गांधी के मोदी के बारे में ‘मौत का सौदागर’ और ‘खून का दलाल’ जैसे बयानों पर बीजेपी को अब पलटवार करने का बड़ा मौका हाथ लगा है। देखना ये भी है कि क्या खुद पीएम मोदी संसद सत्र में इस बारे में कोई बयान देते हैं या नहीं। हालांकि, इतना तय है कि संसद के दोनों सदनों में तीस्ता और कांग्रेस के कथित साठगांठ की गूंज जरूर सुनाई देगी।