नई दिल्ली। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार में अब दरारें दिखने लगी हैं। बता दें कि अपने सिद्धातों के खिलाफ जाकर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने वाली शिवसेना को लेकर कांग्रेस के मत बदलने लगे हैं। दरअसल राज्य कांग्रेस ने साफ किया है कि, अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले दम पर चुनावी मैदान में ताल ठोकेगी। ऐसे में इस गठबंधन में साथ आई पार्टियों के बीच जुबानी जंग देखने को मिल सकती है। वहीं अलग से चुनाव लड़ने के बीच कयास लगाए जाने लगे कि, क्या आखिर उद्धव सरकार खतरे में है? क्या कांग्रेस के इस फैसले के बाद वो अपना समर्थन उद्धव सरकार से वापस ले लेगी हालांकि इन कयासों के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने बीते दिन कहा कि, “यह अफवाह है कि शिवसेना के सीएम को 2.5 साल बाद बदल दिया जाएगा। जब तीन दलों ने सरकार बनाई, तो उन्होंने प्रतिबद्धता दिखाई और फैसला किया कि उद्धव ठाकरे ही 5 साल के लिए सीएम होंगे। अगर कोई इस बारे में बात करता है तो यह झूठ और अफवाह के अलावा कुछ नहीं है।”
वहीं सोमवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने एक बार फिर कहा कि, “कांग्रेस महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। आलाकमान ने फैसला किया तो मैं मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए तैयार हूं।” वहीं उद्धव सरकार के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि, 5 साल तक उद्धव ठाकरे की सरकार को कांग्रेस का पूरा समर्थन है। 5 साल तक हमारी तरफ से इस सरकार को कोई भी तकलीफ नहीं है।
बता दें कि कांग्रेस की तरफ से बार-बार इस बात को दोहराना कि अगला विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी, इस बात के संकेत हैं, यह गठबंधन की सरकार किसी तरह से 5 साल को पूरा कर सरकार ना चला पाने की फजीहत से बचना चाहती है। ऐसे में गठबंधन में शामिल तीनों दलों की तरफ से समय-समय पर मतभेद वाले बयान सामने आते रहते हैं। फिलहाल जिस तरह की विचारधारा वाली पार्टी शिवसेना रही है, ऐसे में उसका कांग्रेस के साथ सरकार बनाना उसे अपने ही विचारों को दबाने के प्रेरित करता है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी। आलाकमान ने फैसला किया तो मैं मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए तैयार हूं: महाराष्ट्र के कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले
(फाइल तस्वीर) pic.twitter.com/ERBlNWEd2l
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 14, 2021
वहीं कांग्रेस का अभी से ही फैसला कर लेना कि अगला विधानसभा चुनाव पार्टी अकेले लड़ेगी, इससे साफ होता है कि इस गठबंधन का भविष्य सिर्फ इसी सरकार तक है, आगे क्या होगा, वो भविष्य की गर्त में है।