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SC ने यूपी पुलिस को कहा, खूंखार बदमाशों के सफाए के लिए अब एनकाउंटर न करें

सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी.एस चौहान की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और इसे दो महीने के भीतर अदालत और उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी.एस चौहान की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और इसे दो महीने के भीतर अदालत और उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस से यह भी कहा कि वह खूंखार बदमाशों के खात्मे के लिए अब एनकाउंटर का सहारा न ले।

supreme court

यूपी पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश चौहान का नाम तीन सदस्यीय जांच आयोग का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया है।

Vikas Dubey

आयोग के अन्य दो सदस्यों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति चौहान की समिति को सचिवालय सहायता केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी, न कि राज्य सरकार द्वारा।

supreme court of india, Delhi

पीठ ने दुबे एनकाउंटर की जांच की निगरानी करने से भी इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “सिर्फ इसलिए कि इसे इतना प्रचार मिला है, हम आपराधिक जांच की निगरानी शुरू नहीं कर सकते।” आयोग एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर देगा।