नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हुए शराब घोटाले के आरोपी मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इससे पहले निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। अब मनीष सिसोदिया को तिहाड़ जेल में ही रहना होगा। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। तभी से वो तिहाड़ जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की बेल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी से सबूतों के बारे में पूछा था। कोर्ट ने ये भी कहा था कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ घोटाले से जुड़ा कोई ठोस सबूत ईडी की तरफ से पेश नहीं किया जा सका है। ईडी ने इस पर कोर्ट से कहा था कि उसके पास सबूत हैं और वो आम आदमी पार्टी (आप) को भी आरोपी बनाने पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की बेल अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले की सुनवाई 6 से 8 महीने में पूरी कर ली जाए। ऐसा न होने पर मनीष सिसोदिया फिर जमानत की अर्जी दे सकते हैं।
Supreme Court directs to conclude the trial in the case in six to eight months. SC says if the trial proceeds at a slow pace, Sisodia can apply for bail again at a later stage
— ANI (@ANI) October 30, 2023
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था। सीबीआई को दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने शराब घोटाले की जांच सौंपी थी। जांच के दौरान मनीष सिसोदिया के घर पर छापा भी मारा गया था। मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर भी खंगाले गए थे। मनीष सिसोदिया और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) लगातार कहते रहे हैं कि जांच एजेंसी को शराब घोटाले से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है। इसके बाद भी सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। वहीं, इस मामले में 2 आरोपी सरकारी गवाह बन गए। इनमें से एक दिनेश अरोड़ा है। उनकी गवाही को आधार बनाकर ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है। सिसोदिया के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इन सरकारी गवाहों ने कई बार जांच एजेंसी के सामने बयान दिए और ये बयान अलग-अलग थे। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जानना चाहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ उसके पास क्या सबूत हैं।
दिल्ली के शराब घोटाले में आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने नई नीति लागू करवा दी। इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी तक नहीं ली गई। इस नई शराब बिक्री नीति से दिल्ली सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचा। वहीं, निजी शराब विक्रेताओं को फायदा हुआ। घोटाले का आरोप लगने के बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर उसकी जगह पहले की शराब नीति लागू कर दी थी। इसे लेकर भी सवाल उठे कि अगर नई नीति में गड़बड़ी नहीं थी, तो उसे रद्द कर आखिर पुरानी शराब नीति फिर से क्यों लागू की गई। इस मुद्दे पर भी मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी को विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस ने घेरा हुआ है।