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Article 370: अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मामले में अब अगस्त में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, शाह फैसल और शहला रशीद ने वापस ली याचिकाएं

केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में प्रस्ताव लाकर संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करवा लिया था। इसी के खिलाफ तमाम लोग कोर्ट पहुंचे हैं। 370 के रद्द होने के बाद जम्मू-कश्मीर में 800 से ज्यादा केंद्रीय कानून भी लागू किए जा सके हैं। वहां के लोगों को आरक्षण नहीं मिलता था। अब वो भी मिल रहा है।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट अब 2 अगस्त से सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज सुनवाई के बाद ये बात कही। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों को 25 जुलाई तक मुद्दों की लिस्ट बनाने और कोर्ट को देने के लिए कहा है। इसके अलावा कोर्ट को ये भी बताना होगा कि किस पक्ष से कौन वकील जिरह करेगा। अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। जम्मू-कश्मीर कैडर के आईएएस शाह फैसल और एक्टिविस्ट शहला रशीद ने इस बारे में दाखिल अपनी याचिकाएं वापस लेने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी है।

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आज हुई संक्षिप्त सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने से होने वाले फायदे गिनाए थे। केंद्र की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास हो रहा है और दहशत का माहौल भी काफी हद तक खत्म हो गया है। केंद्र ने अपने हलफनामे में बताया है कि पहले पत्थरबाजी की हजारों घटनाएं हर साल होती थीं, लेकिन अब ऐसी घटनाओं की संख्या शून्य है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया है कि आतंकवाद की वजह से कश्मीर में सुरक्षाबलों के हताहत होने की संख्या में भी 65 फीसदी कमी आई है। इसके अलावा श्रीनगर में जी-20 के सफल बैठक का भी हलफनामे में केंद्र ने उल्लेख किया है।

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केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में प्रस्ताव लाकर संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करवा लिया था। इसी के खिलाफ तमाम लोग कोर्ट पहुंचे हैं। 370 के रद्द होने के बाद जम्मू-कश्मीर में 800 से ज्यादा केंद्रीय कानून भी लागू किए जा सके हैं। वहां के लोगों को आरक्षण नहीं मिलता था। अब वो भी मिल रहा है। कश्मीर घाटी में आतंकवाद भी कम हुआ है। इसकी वजह से पहले से ज्यादा पर्यटक भी वहां आ रहे हैं। साथ ही सभी देशवासियों के लिए वहां जमीन-जायदाद खरीदने की भी छूट मिली है। हालांकि, इन मसलों पर स्थानीय नेता विरोध करते रहते हैं।