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Delhi: अध्यादेश मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रूख, केंद्र को थमाया नोटिस, दो हफ्ते में मांगा जवाब

Delhi: आप संयोजक केजरीवाल अध्यादेश को कानून बनने से रोकने की दिशा में हर संभव कोशिश कर रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने इस मुद्दे को विपक्षी एकता की बैठक में भी उठाया था। लेकिन, कांग्रेस ने समर्थन करने से अपना कदम पीछे खींच लिया है।

नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में अध्यादेश को लेकर शुरू हुआ सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ बीते दिनों दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज किए जाने की केंद्र सरकार की मांग को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। इसके अलावा कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है। अब इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई निर्धारित की गई है। वहीं आज इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। सिर्फ केंद्र को नोटिस जारी किया गया है। अब आगामी दिनों में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ही दिल्ली का असली बॉस बताया था और यह भी स्पष्ट कर दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के संदर्भ में विधिक फैसले लेने का अधिकार अगर किसी को है, तो वो केवल दिल्ली सरकार को ही है, लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते की केंद्र सरकार ने कोर्ट के इस फैसले के विरोध में दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने वाला अध्यादेश ले आई। बता दें कि इस अध्यादेश के क्रियान्वित होने के बाद दिल्ली की स्थिति पहले जैसी ही हो गई।

Supreme Court

हालांकि, आप संयोजक केजरीवाल अध्यादेश को कानून बनने से रोकने की दिशा में हर संभव कोशिश कर रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने इस मुद्दे को विपक्षी एकता की बैठक में भी उठाया था। लेकिन, कांग्रेस ने समर्थन करने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में उपराज्यपाल को भी पक्षकार बनाने की इजाजत दी है। वहीं, अब इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। बता दें कि बीते दिनों दिल्ली सरकार ने इस याचिका को दाखिल करने के दौरान कोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया यह अध्यादेश संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है।