कुछ संगठनों को उनके असामाजिक और शरारती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित कर दिया जाता है। सामाजिक समरसता और सौहार्द स्थापित करने की दिशा में ऐसे संगठनों का प्रतिबंधित किया जाना अनिवार्य रहता है। इन्हीं में से एक संगठन सिमी है, जिसे उसके असामाजिक गतिविधियों के दृष्टिगत प्रतिबंधित किया जा चुका है, लेकिन बीते दिनों इसे लेकर एक खबर सामने आई कि कथित तौर पर सिमी के कुछ सदस्य जिहदी संगठनों की बैठक में शामिल हुए थे, जिसकी जानकारी लगते ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई गई। बता दें कि वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए हुई इस बैठक में इंदौर-उज्जैन के कई युवा शामिल हुए थे। जांच एजेंसियों ने इस बात को लेकर संदेह जताया है कि अभी हाल ही में गुजरात बम धमाकों में मिली आतंकवादियों को मिली सजा के कारण हुई थी। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, विगत 28 फरवरी को बैठक हुई थी, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर बीते दिनों वायरल हुआ था। उधर, इस वीडियो के वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस और आईबी ने जांच करने के साथ सूचना एकत्र करने की जानकारी भी साझा की थी।
ब्रेनवॉश की साजिश
वहीं, बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भड़काऊ बातें भी कही। यही नहीं, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बैठक में लोगों को संबोधित करते हुए डरवर्ल्ड से ताल्लुक रखने वाले सोहराबुद्दीन (मुठभेड़ में मृत) को शहीद बताया। वहीं, बाबरी मस्जिद के संदर्भ में केंद्र सरकार की मोदी सरकार को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए कहा गया। सीएए की तरह हिजाब, सीएए-एनआरसी और अफजल गुरु का ब्रेनवॉश करने की कोशिश की गई।
खास बात यह है कि इस बैठक में सेवानिवृत्त जज और निलंबित आईपीएस की पत्नी भी शामिल थीं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में इन गतिविधियों को लेकर 50 सदस्य सक्रिय है। बहरहाल, जांच एजेंसी की तरफ से उक्त मामले को संज्ञान में लेने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं।