जम्मू। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) पुलिस की सीआईडी ब्रांच ने रविवार को आदेश जारी कर पत्थरबाजी करने वालों का सरकारी नौकरी और पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफिकेशन न करने की बात कही थी। इससे आतंकवादियों और उनके समर्थकों को जोर का झटका लगा है। ऐसे में कश्मीर के राजनीतिक दल आदेश का विरोध कर रहे हैं। सवाल ये है कि ये नेता आखिर आतंकियों के मददगारों का पक्ष क्यों लेते हैं? राज्य के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वाइस प्रेसिडेंट उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने पुलिस के आदेश का विरोध किया है।
उन्होंने लिखा है कि पुलिस की रिपोर्ट किसी भी अदालत के फैसले की जगह नहीं ले सकती। उमर ने लिखा है कि करीब डेढ़ साल पहले पुलिस ने उनकी नजरबंदी को भी सही ठहराया था, लेकिन कोर्ट ने उस आदेश को गलत ठहरा दिया।
An “adverse police report” can not be a substitute for being found guilty in a court of law. A year and a half ago J&K police were able to create an ‘adverse police report’ to justify my detention under the Public Safety Act that would never have stood up to legal challenge. https://t.co/d9SIxoJe14
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 1, 2021
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मसले पर तो अभी तक कुछ नहीं कहा है, लेकिन पहले वह पुलिस रिपोर्ट के मसले पर अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। दरअसल, महबूबा का पासपोर्ट रिन्यू होना था, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दी थी। जिसकी वजह से महबूबा का पासपोर्ट दोबारा बन नहीं सका।
Innocent Kashmiris arrested under anti terror laws rot in jails for years. For them the trial becomes the punishment. But GOI doesn’t want an enquiry against a cop caught red handed with militants. Is it because he colluded with the system to orchestrate certain dodgy incidents? pic.twitter.com/ozcEZE5S2g
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 2, 2021
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी ब्रांच ने नए आदेश में आतंकियों के मददगारों और पत्थरबाजों के सरकारी काम के लिए वेरिफिकेशन न करने का आदेश दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि किसी भी ऐसे शख्स का वेरिफिकेशन करने से पहले पुलिस संबंधित के बारे में अच्छी तरह जानकारी जुटाए। इसके लिए वीडियो वगैरा की जांच करने का भी फैसला किया गया है।
बीते कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर की सरकार ने आतंकवादियों के मददगारों पर जमकर वार किया है। इसके तहत कई सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त भी किया गया था। बर्खास्त होने वालों में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे भी हैं।