newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ajab-Gazab News: इस पड़ोसी देश में मौजूद है एक ऐसी घाटी जहां रहती हैं परियां, 150 साल तक लोग यहां रहते हैं जिंदा

Ajab-Gazab News: यहां के लोग न तो कभी बीमार होते हैं और न ही उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्रोसेस्ड फूड की पहुंच से दूर यहां के लोग सब्जियां, दूध, अनाज और फल खासतौर पर खूबानी का ही सेवन करते हैं।

नई दिल्ली। पूरी दुनिया रहस्यों से भरी है। वैज्ञानिकों ने कुछ रहस्य तो सुलझा लिए लेकिन अभी भी कई अनसुलझे रहस्य हैं। ऐसा ही एक रहस्य हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में मौजूद है, जिसे सुलझाने की वैज्ञानिक लगातार कोशिश करते रहते हैं। नॉर्थ पाकिस्तान की हुंजा वैली में 120 से 150 साल तक लोग जिंदा रह सकते हैं। वहां के लोगों की औसत उम्र की बात करें तो केवल 67 साल ही सामने आई है। हुंजा वैली में रहने वाले लोग इतने सेहतमंद कैसे हैं? इस रहस्य से अभी तक पर्दा नहीं उठ सका है। यहां पर शोध करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यहां के निवासी दुनिया के प्रदूषण से दूर एक प्रकार के आइसोलेशन में रहते हैं। इसके अलावा, उनकी अपनी कुछ खास आदतें भी हैं। ये भी एक बड़ा कारण है कि वो स्वस्थ्य हैं, लेकिन फिर भी उनकी आयु इतनी अधिक कैसे है? ये अभी भी शोध का विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं, हुंजा समुदाय के लोग अधिक उम्र तक बच्चे भी पैदा कर सकते हैं, जो अपने आप में असाधारण बात है। यहां की महिलाएं 60 से 90 वर्ष की आयु तक गर्भधारण कर सकती हैं।

इसके अलावा, उनके बारे में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि यहां के लोग न तो कभी बीमार होते हैं और न ही उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्रोसेस्ड फूड की पहुंच से दूर यहां के लोग सब्जियां, दूध, अनाज और फल खासतौर पर खूबानी का ही सेवन करते हैं। ये लोग मीट भी कम खाते हैं। हुंजा समुदाय के लोग पीने और नहाने के लिए ग्लेशियर के पानी का इस्तेमाल करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, खूबानी के बीज में एमीग्डालिन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो एक तरह से विटामिन बी-17 का सोर्स होता है, जिसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने की क्षमता होती है। हुंजा वैली के लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा भी आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा ये लोग नियमित रूप से योगा और ध्यान भी करते हैं।

बता दें, साल 1930 में हॉलीवुड फिल्म ‘लॉस्ट होराइजन’ में भी हुंजा समुदाय का जिक्र किया गया था। जब चीन के रास्ते आते हुए अंग्रेजी सेना का काफिला हिमालय के क्षेत्र में आकर रुक जाता है, जहां वो बर्फीले तूफान से बचने के लिए हुंजा में शरण लेते हैं।वहां के लोगों का मानना है कि इस वैली में परियां रहती हैं, जो उनकी बाहरी खतरों से रक्षा करती हैं। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों के अनुसार, इंसान जैसी दिखने वाली और सुनहरे कपड़े पहनने वाली इन परियों की आवाजें भी ऊंचाई वाली जगहों पर सुनाई देती है, जिसे अक्सर वहां के चरवाहे सुनते रहते हैं।