लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही विपक्ष के दो बड़े दलों बीएसपी और समाजवादी पार्टी यानी सपा के बीच ब्राह्मणों को लेकर खींचतान मची है। दोनों ही पार्टियां ब्राह्मणों को लुभाने के लिए जी-जान लगाए हैं। ऐसे में आसार हैं कि ब्राह्मण वोट की खातिर दोनों में घमासान भी मच सकता है। पहले बात करते हैं बीएसपी की। बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने बीते दिनों अयोध्या से ब्राह्मण लुभाओ अभियान के तहत सम्मेलन करने शुरू किए। पहले दिन अयोध्या के बाद दो दिन अंबेडकरनगर और आज प्रयागराज में बीएसपी का ब्राह्मण सम्मेलन वह करने जा रहे हैं। पार्टी का ब्राह्मण सम्मेलन 29 जुलाई तक चलेगा। सतीश चंद्र मिश्रा दरअसल पार्टी सुप्रीमो मायावती की ओर से 2007 के दौरान किए गए प्रयोग को फिर लागू करना चाहते हैं। 2007 में मायावती ने ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी चलता जाएगा’ के नारे के साथ यूपी में सत्ता संभाली थी।
उधर, बीएसपी का ब्राह्मण राग देखकर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी ब्राह्मण-ब्राह्मण करने लगे हैं। रविवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की अध्यक्षता में अखिलेश ने एक कमेटी बना दी। कमेटी के सदस्यों ने अखिलेश को भगवान परशुराम की पेंटिंग दी, जिसे सपा अध्यक्ष ने अपने दफ्तर में लगा दिया है। कमेटी के सदस्यों को ब्राह्मण वोटरों को पार्टी से जोड़ने का जिम्मा मिला है।
इस बीच, गोरखपुर से बीजेपी के सांसद और भोजपुरी फिल्म एक्टर रवि किशन ने कहा है कि जब भी चुनाव आते हैं, तो विपक्ष को ब्राह्मण याद आने लगते हैं। उन्होंने कहा कि मैं भी ब्राह्मण हूं और जानता हूं कि बीएसपी और सपा की सरकार में ब्राह्मणों से कैसा व्यवहार होता था। यूपी के ब्राह्मण जानते हैं कि उनके सम्मान की सुरक्षा सिर्फ सीएम योगी आदित्यनाथ ही कर सकते हैं।
बता दें कि यूपी में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण हैं। करीब 20 सीटों पर ब्राह्मण वोटरों की संख्या 15 से 20 फीसदी के बीच है और वे इन सीटों पर जीत और हार तय करते हैं। इन्हीं सीटों के ब्राह्मण वोटरों को अपने पाले में करने के लिए बीएसपी और सपा में मची खींचतान आगे चलकर घमासान में भी बदल सकती है।