नई दिल्ली। जिस गठबंधन की नौका पर सवार होकर समाजवादी पार्टी और अपना दल सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजयी भव किले को जमींदोज करने का ख्वाब देख रही थी, अब वही गठबंधन की नौका कहीं डूब न जाए, इस बात की चर्चा सूबे के सियासी गलियारों में अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। सूबे के सियासी आलिमों को यह करने में कोई गुरेज नहीं है कि कल तक महज सीएम योगी की राह में रोड़ा अटकाने में मसरूफ रहने वाली अपना दल और सपा प्रमुख की गठबंधन अब अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिनने में मसरूफ हो जाएगा। अब इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि भला आप यह किस बिनाह पर कह रहे हैं। आखिर सपा और अपना दल के बीच ऐसा क्या हो गया कि आप इस तरह की तिस्लमी भूमिका रचा रहे हैं।
तो आपको बताते चले कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पूर्व समाजवादी पार्टी और अपना दल के बीच दरार पैदा हो गया है। यह दरार सीटों को लेकर पैदा हो रहा है। सीटों को लेकर दोनों ही दलों के बीच बात नहीं बन पा रही है। बता दें कि प्रयागराज और वाराणसी सीटों को लेकर बात नहीं बन पा रही है। ध्यान रहे कि अपना दल प्रयागराज और वाराणसी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती थी, लेकिन समाजवादी पार्टी इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन इस मत विभिन्नता ने दोनों के बीच विवादों की जड़ों को गहरा कर दिया और अब बात यहां तक पहुंच गई कि अब अपना दल ने सपा के टिकट को वापस करने का फैसला कर लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों के बीच आज जिस तरह से सीटों को लेकर बात नहीं बन पाई है, उससे गठबंधन की ज़ड़ें कमजोर ही होंगी।
बता दें कि सपा के संग गठबंधन की नौका पर सवारी कर चुनाव लड़ रही अपना दल सूबे 17 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है और इसी बीच प्रयागराज और वाराणसी की सीटों भी अपना दल अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारना चाहती है, लेकिन अफसोस बात नहीं बन पाई जो आगे चलकर गठबंधन के धराशायी होने की वजह बनी। विदित है कि आगामी 10 फरवरी से सूबे में सात चरणों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और नतीजों की घोषणा आगामी 10 मार्च को होने जा रही है। इस दिन तय हो जाएगा कि सूबे में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है।