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मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान विवाद के कोर्ट में निपटारे से बचने की इस तरह कोशिश कर रहा है मुस्लिम पक्ष

अयोध्या में रामलला के मंदिर का विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निपट गया, लेकिन मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान को लेकर कोर्ट में दाखिल मुकदमे के मामले में तारीख पर तारीख पड़ रही है। इसकी वजह मुस्लिम पक्ष है। मुस्लिम पक्ष इस मामले में अदालत में जवाब दाखिल न कर विवाद को खींचने की कोशिश कर रहा है।

मथुरा। अयोध्या में रामलला के मंदिर का विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निपट गया, लेकिन मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान को लेकर कोर्ट में दाखिल मुकदमे के मामले में तारीख पर तारीख पड़ रही है। इसकी वजह मुस्लिम पक्ष है। मुस्लिम पक्ष इस मामले में अदालत में जवाब दाखिल न कर विवाद को खींचने की कोशिश कर रहा है। मथुरा में हिंदू पक्ष की ओर से कृष्ण जन्मस्थान पर बनी बादशाही मस्जिद पर सवाल खड़ा करते हुए कोर्ट में मुकदमा किया गया है। इसमें कहा गया है कि जहां बादशाही मस्जिद है, वहां पहले केशवदेव का मंदिर था और औरंगजेब ने आदेश जारी कर उस मंदिर को गिरवाकर मस्जिद बनवा दी।

इस बारे में कोर्ट में औरंगजेब के आदेश की प्रति भी हिंदू पक्ष ने जारी कर दी है। हिंदू पक्ष के मुकदमे पर शाही ईदगाह कमेटी की ओर से शुक्रवार को कोर्ट में जवाब देना था, लेकिन उनके वकील ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन या उनके प्रतिनिधि को कोर्ट ने पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वे भी अब तक पेश नहीं हुए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए अब 16 अगस्त की तारीख तय की है।

Mathura Krishna Mandir

मुस्लिम पक्ष की ओर से अब तक कोर्ट में केंद्र सरकार के 1991 में बने उस कानून का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि राम मंदिर मसले के अलावा 1947 में आजादी के दिन जो भी धार्मिक स्थल थे, वे बरकरार रहेंगे। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस कानून के तहत हिंदू पक्ष अब बादशाही मस्जिद हटाने की मांग नहीं कर सकता। वहीं, हिंदू पक्ष का कहना है कि 1991 में बना कानून इस मामले में लागू नहीं होता, क्योंकि यह कानून ही गलत तरीके से संसद से पास कराया गया था। बता दें कि 1991 के कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है और इस पर अगले हफ्ते सुनवाई होने की उम्मीद है।