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Chandrayaan 3: भारत के चंद्रयान-3 के लिए कल का दिन अहम, विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने की तैयारी में जुटे इसरो वैज्ञानिक

चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास विक्रम लैंडर को उतारने की योजना इसरो की है। चांद के इस इलाके में अब तक किसी और देश ने अपना यान नहीं उतारा है। रूस ने इसी इलाके में उतारने के लिए 47 साल बाद अपना लूना-25 यान भेजा था, लेकिन शनिवार को ये यान दिक्कतों का सामना करते हुए चांद पर गिरकर नष्ट हो गया।

बेंगलुरु। भारत के चंद्रयान-3 अभियान के लिए कल यानी बुधवार का दिन अहम होने जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को बुधवार शाम 6.04 बजे चांद की सतह पर उतारने की योजना तैयार की है। विक्रम लैंडर को चांद पर सफलता से उतारा गया, तो इससे प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। ये प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर अगले 14 दिन तक अपने यंत्र और सेंसर की मदद से तमाम वैज्ञानिक शोध करेगा। इसरो का ये भी कहना है कि अगर किसी वजह से कल चांद पर विक्रम लैंडर को नहीं उतारा जा सका, तो इसे फिर 27 अगस्त को चांद पर उतारने की कोशिश की जाएगी। अगर उस तारीख को भी विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर न उतारा जा सका, तो फिर एक महीने तक इंतजार करना होगा।

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हालांकि, इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने पहले कहा था कि 23 अगस्त की शाम विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने की पूरी तैयारी है। बुधवार को चांद पर उतारने के वक्त से 2 घंटे पहले विक्रम लैंडर के सभी पैरामीटर और यंत्रों के अलावा इंजन की जांच भी इसरो के वैज्ञानिक करेंगे। विक्रम लैंडर में इसरो वैज्ञानिकों ने 4 इंजन लगाए हैं और डॉक्टर सोमनाथ का दावा है कि अगर 2 इंजन काम न भी करें और कुछ सेंसर भी अगर ठीक न हों, तो भी विक्रम लैंडर चांद की सतह पर आसानी से उतर जाएगा। चांद पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 1 चंद्र दिन यानी 14 दिन के लिए काम करना है।

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चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास विक्रम लैंडर को उतारने की योजना इसरो की है। चांद के इस इलाके में अब तक किसी और देश ने अपना यान नहीं उतारा है। रूस ने इसी इलाके में उतारने के लिए 47 साल बाद अपना लूना-25 यान भेजा था, लेकिन शनिवार को ये यान तकनीकी दिक्कतों का सामना करते हुए चांद पर गिरकर नष्ट हो गया। ऐसे में अगर इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर सफलता से उतार लेते हैं, तो ये भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक हो जाएगा। इससे पहले 2019 में इसरो ने चांद पर चंद्रयान-2 भेजा था, लेकिन उसका विक्रम लैंडर तकनीकी खराबी से चांद पर गिरकर नष्ट हो गया था।