नई दिल्ली। अगर आप भी राजधानी दिल्ली के बाशिंदों की फेहरिस्त में शुमार हैं, तो बिलाशक आपने साल 2020 की कड़कड़ाती ठंड में राजधानी दिल्ली को हिंसा की आग में झुलसते हुए देखा ही होगा। देखा ही होगा आपने कि कैसे कल तक लोगों की आमद से गुलजार रहने वाली राजधानी दिल्ली की गलियां हिंसा के सैलाब में सराबोर हो चुकी थी। देखा ही होगा आपने कि कैसे चंद लोगों के बहकावे में आकर कल तक भाईचारे में रहने वाले लोग एक-दूसरे को मरने मारने पर बेताब हो चुके थे और एक-दूसरे को मरने मारने पर इन लोगों के बेताबी की एकमात्र वजह सीएए थी। वही सीएए, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करता है। जब साल 2020 में केंद्र सरकार ये कानून लेकर आई थी, तो किसी ने इसका विरोध, तो किसी ने इसका समर्थन किया था, लेकिन चुंनिदा विरोधकों ने अपने विरोध की आड़ में राजधानी दिल्ली को तबाह करने की अपनी नापाक करतूत को अंजाम दिया था, उसी की सुनवाई तकरीबन दो वर्षों से दिल्ली की न्यायपालिका में हो रही है, लेकिन अभी तक अर्थपूर्ण नतीजे निकलकर सामने नहीं आ पाए हैं।
वैसे तो सीएए की आड़ में दिल्ली में दंगा करने वालों की जमात में बेशुमार अफसानों के साथ बेशुमार किरदार भी शुमार हैं, लेकिन एक नाम, ऐसा भी है, जो पिछले कुछ दिनों से एक मर्तबा फिर से सुर्खियों के सैलाब में सराबोर हो चुका है और ये नाम कोई और नहीं, बल्कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद है। दिल्ली दंगों में आरोपित उमर खालिद अदालतों के चक्कर लगा रहा है। उसकी पूरी कोशिश है कि उसे जमानत मिल जाए। इसके लिए उसकी तरफ से एड़ी चोटी का जोर लगाया जा चुका है।
? Delhi Court, Karkardooma Courts will hear Umar Khalid’s bail hearing in connection with the Delhi Riots Larger conspiracy case. Prosecutor is arguing currently. #DelhiRiots pic.twitter.com/xpGlYwjN1I
— LawBeat (@LawBeatInd) February 2, 2022
क्या हाई कोर्ट…क्या सुप्रीम कोर्ट…हर जगह अपनी आमद दर्ज करवा चुके उमर के हाथ अभी तक कामयाबी नहीं लगी है। आखिर मिले भी कैसे। इतनी गंभीर धाराओं के तहत उसके ऊपर जो मुकदमा दर्ज हो चुका है, उसे देखते हुए आगे तक तो उसे कोई जमानत मिले, इसकी संभावना लगती नहीं है और अगर कहीं कोई संभावना पैदा भी होती है, तो दिल्ली पुलिस के कारिंदे उसे अपनी मजबूत दलीलों से धराशायी कर देते हैं, मगर इस बीच उमर खालिद को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आई है।
खबर है कि उसकी जमानत याचिका पर कड़कड़डुमा कोर्ट में सुनवाई होगी। जिसमें अभियोजन पक्ष से लेकर बचाव पक्ष की नुमाइंदों की आमद देखने को मिलेगी। बिलाशक उमर की तरफ से अपने जमानत के पक्ष में मजबूत दलीलों की पेशकश देखने को मिलेगी। लेकिन दिल्ली पुलिस और समेत अन्य पक्षकार भी पूरे तथ्यों और सुबूतों के साथ उमर की जमातन का विरोध करेंगी। ध्यान रहे कि इससे पहले उमर की जमानत याचिका पर सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट समेत सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है, लेकिन अभी तक उमर को जमानत मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है। अब ऐसे में आगे चलकर कोई संभावना पैदा होती है की नहीं। यह देखना दिलचस्प रहेगा।
विदित हो साल 2019 के आखिरी पड़ाव पर आते ही विशेष समुदाय के लोगों ने सीएए के विरोध में दिल्ली में आंदोलन करना शुरू कर दिया था। कथित तौर पर उन्हें इस बात का डर सता रहा था कि इस कानून के लागू होने के बाद उनकी नागरिकता खतरे में आ जाएगी। हालांकि, सरकार की तऱफ से ऐसे लोगों को आश्वस्त किया जा चुका था कि इस कानुन के प्रभावी होने के बाद इनकी नागरिकता खतरे में नहीं आएगी। लेकिन इसके बावजूद इन लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा और इस बीच इस आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्वों के लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए दिल्ली को हिंसा की आग में झुलसा कर रख दिया।