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UP: बनारस में खुला अनोखा बैंक, रुपए के बजाय प्लास्टिक से होता है लेन-देन

UP: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Goverment) लगातार काशी के विकास के लिए प्रयास कर रखी है। इस विकास में काशी के मूल-भूत सुविधाओं के साथ ही पर्यावरण भी शामिल है। जानकर आश्चर्य होगा की वाराणसी में पर्यावरण को शुद्ध रखने के एक अनोखा बैंक बना है।

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Goverment) लगातार काशी के विकास के लिए प्रयास कर रखी है। इस विकास में काशी के मूल-भूत सुविधाओं के साथ ही पर्यावरण भी शामिल है। जानकर आश्चर्य होगा की वाराणसी में पर्यावरण को शुद्ध रखने के एक अनोखा बैंक बना है। जहां रुपयों को लेन-देन नही बल्कि प्लास्टिक के कचरे का लेन-देन होता है। ये बैंक काशी के विकास में सहायक साबित हो रहा हैं।

बैंक का नाम सुन कर आपके मन में रुपयों के लेन-देन की बात सामने आती होगी, लेकिन वाराणसी में मलदहिया स्थित ये बैंक अपने आप में अनोखा बैंक है। इस बैंक का नाम प्लास्टिक वेस्ट बैंक है। इस बैंक में प्लास्टिक के कचरे से लेन-देन होता है । ये प्लास्टिक शहर के लोग, प्लास्टिक वेस्ट बैंक के वालिंटियर, उपभोक्ता यहां लाकर जमा करते हैं। अगर प्लास्टिक कम है तो उसे उस प्लास्टिक के कचरे के बदले कपड़ें का झोला या फेस मास्क दिया जाता है। अगर प्लास्टिक अधिक मात्रा में किसी ने लाया है तो उसके वजन के अनुसार उसे पैसे दिए जाते हैं यानी कि यहाँ आपको रुपये के बदले में रुपये नही बल्कि प्लास्टिक के कचरे के बदले रुपये प्राप्त होंगे।

Yogi Government

नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया की पीपीई मॉडल पर केजीएन व यूएनडीपी( UNDP) काम कर रही है, १० मीट्रिक टन का प्लांट आशापुर में लगा है, करीब 150 सफाई मित्र इस काम में लगे है, नगर आयुक्त ने बताया की पॉलीथिन पर प्रतिबन्ध है फिर भी टेट्रा पैक और पानी पिने की बोतले चलन में है, जिसका निस्तारण रिसाईकिल करके किया जाता है।

केजीएन कंपनी के निदेशक साबिर अली ने बताया की वे एक किलो पॉलीथिन के बदले 6 रूपया देते है, जो आठ से दस रूपया किलो में बिकता है। पूरे शहर से रोजाना करीब दो टन पॉलीथिन कचरा इकट्ठा हो जाता है, इसके अलावा 25 रूपया किलो पीईटी यानी इस्तमाल की हुई पीने के पानी की बोतल खरीदी जाती है, जो प्रोसेसिंग के बाद करीब 32-38 रूपया किलो बिकता है, किचन में इस्तमाल होने वाला प्लास्टिक बाल्टी, डिब्बे मैग आदि जिसे पीपी, एलडीपी बोलते है, 10 रूपया किलो खरीदा जाता है, जो 4 से 5 रुपये की बचत करके बिक जाता है कार्ड बोर्ड आदि सभी रीसाइकिल होने वाले कचरे को ये बैंक लेता है, इस बैंक में जमा प्लास्टिक के कचरे को वाराणसी के आशापुर स्थित प्लांट पर जमा किया जाता है। प्लास्टिक के कचरे को प्रेशर मशीने से दबाया जाता है, प्लास्टिक को अलग किया जाता जिनमे PET बोतल को हैड्रोलिक बैलिंग मशीन से दबाकर बण्डल बनाकर आगे के प्रोसेस के लिए भेजा जाता है और अन्य प्लास्टिक कचड़े को अलग करके उनको भी रीसाईकल करने भेज दिया जाता है।

plastic bank banaras

और फिर इसे कानपूर समेत दूसरी जगहों पर भेजा जाता है जहाँ मशीन द्वारा प्लास्टिक के कचरे से प्लास्टिक की पाइप, पॉलिस्टर के धागे, जूते के फीते और अन्य सामग्री बनाई जाएगी। नगर निगम द्वारा शुरू किए गए इस पहल में प्लास्टिक के कचरे को निस्तारण के लिए इस बैंक का निर्माण हुआ है। पर्यावरणविद भी इस पॉलीथिन को बेहद खतरनाक और पर्यावरण का शत्रु मानते है, उनका कहना है कि प्लास्टिक के बैग और पॉलीथिन से शहर में कई तरह के प्रदूषण पैदा होते है, ये पॉलीथिन पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। गंगा में लोगो द्वारा पॉलीथिन फेक दिया जाता है, जिससे गंगा में गंदगी होती है साथ ही जलीय जन्तुओं को नुकसान होता है, पॉलीथिन से सीवर जाम होता है, नालियां चोक हो जाती है, साथ ही पॉलीथिन जलाने से भी जहरीले धूएं से वातारवरण खराब होता है और हवा जहरीली हो जाती है।

बनारस को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए पहले से ही यहां प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध है। लेकिन अभी भी कई ऐसे प्लास्टिक के सामग्री हैं जो उपयोग में हैं, जिसके निस्तारण के लिए ये उपाए काफी कारगार साबित हो रहा है और उपयोग का सामान भी बनाया जा रहा है। ऐसे में ये प्लास्टिक बैंक जहाँ वाराणसी को प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के रोकथाम में कारगर साबित होगा तो वहीं काशी के विकास में भी मुख्य भूमिका निभाएगा।