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काशी विश्वनाथ मंदिरः सड़क पर हुई बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती, टूटी सदियों पुरानी परंपरा

काशी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा जब बाबा काशी विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई हो।

नई दिल्ली। काशी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा जब बाबा काशी विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई हो। आपको जानकर हैरानी होगा कि लॉकडाउन की वजह से सदियों पुरानी ये परंपरा नहीं टूटी है बल्कि विरोध स्वरुप ऐसा किया गया। रोजाना होने वाली इस आरती को बाबा विश्वनाथ के अर्चकों ने ही किया, लेकिन सड़क पर। अर्चकों का कहना है कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिसकी वजह से बीच सड़क पर ये आरती विरोध स्वरूप की गई। अर्चकों का आरोप है कि सैकड़ों साल की परंपरा को मंदिर प्रशासन ने तोड़ दिया।

दरअसल, महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चले आ रहे तनाव की वजह से विवाद एक बार फिर गहरा गया है। बता दें कि मंदिर में सप्तऋषि आरती सैकड़ों सालों से महंत परिवार के जिम्में ही है और 1983 में मंदीर के अधिग्रहण के बाद भी ये जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर रही। लेकिन मंदिर प्रशासन ने इन्हें ये करने से रोक दिया। इस विवाद का कारण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण है। जिसमें परिसर में स्थित कैलाश मंदिर के गुम्बद को कॉरिडोर काम करा रहे ठेकेदार द्वारा तोड़ने का आरोप है। जबकि मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को प्रभावित करने के लिए महंत परिवार द्वारा बार-बार अफवाह फैलाई जा रही है कि परिसर में स्थित पुरानी मन्दिरों को तोड़ा जा रहा है।

KasHi Vishwanath Temple Varanasi

मंदिर प्रशासन अब सप्तऋषि आरती कराएगी जिसे उनके द्वारा नियुक्त किये गए अर्चक किया करेंगे। हालांकि मंदिर प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक बयान जारी नही किया है। महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चल रहा ये तनाव बीच सड़क पर भी दिखा और काशी में सड़क पर सप्तऋषि आरती का एक इतिहास भी बना।

तस्वीरों में देखें कैसे सड़क पर अर्चकों ने की सप्तऋषि आरती

काशी के कैलाश मंदिर को लेकर फैली ये अफवाह, प्रशासन ने दी सफाई

धर्मनगरी वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित कैलाश मंदिर को लेकर फैली अफवाह के बाद माहौल गर्म हो गया। बुधवार 6 मई की शाम ये खबर आई कि मंदिर के शिखर का कुछ हिस्सा और चारदीवारी टूटकर नीचे गिर गई है। चूंकि मंदिर इस वक्त आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है। इसलिए ये अफवाह उड़ी। बताया गया कि मंदिर के शिखर के कुछ हिस्से के साथ चारों ओर नक्काशीदार परियां, शेर और अन्य पाषाण कलाकृतियां नीचे जमीन पर पड़ी मिलीं हैं।

लेकिन इस अफवाह को लेकर वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने स्पष्ट कर दिया की फर्जी अफवाह उड़ाई जा रही है। कैलाश मंदिर में किसी भी तरह का कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। कमिश्नर ने सख्त लहजे में कहा कि जिन लोगों ने भी मंदिर से जुड़ी ये अफवाह उड़ाई है, उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। कमिश्नर ने बताया कि जो भी चाहे इसको चेक करा सकता है। वहां कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। ये सिर्फ उन लोगों की साजिश है, जिन लोगों ने पैसे लेकर भी अब तक मकान खाली नहीं किया।