नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को सोशल मीडिया यूजर्स से आग्रह किया कि वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कोरोनोवायरस या कोविड-19 के बारे में केवल प्रमाणित जानकारी के प्रसार के लिए ही करें और बीमारी से संबंधित भ्रामक पोस्ट करने से बचें। नायडू ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों से भी सतर्कता बरतने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि स्थिति को बढ़ाचढ़ाकर दिखाने और डर का माहौल बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पहले से ही चिंतित लोग और ज्यादा डर जाएंगे और परेशान होंगे।
उन्होंने ‘मीडिया : ऑवर पार्टनर इन कोरोना टाइम्स’ शीर्षक से एक फेसबुक पोस्ट में अपने विचार व्यक्त किए। व्यापक रूप से जागरूकता लाने के लिए महामारी के बारे दिखाने को लेकर समर्पित प्रयासों के लिए मीडिया के लोगों को ‘फ्रंटलाइन वॉरियर्स’ कहते हुए नायडू ने प्रकोप के विभिन्न पहलुओं के बारे में आवश्यक जानकारी, विश्लेषण और ²ष्टिकोण के साथ लोगों को सशक्त बनाने के लिए उनके प्रयासों का स्वागत किया।
नायडू ने कहा कि जब लोग प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ रहे थे, तो मीडिया के लोगों ने इसके कारणों और परिणामों, इसकी अवधि और इससे निपटने के साधनों के बारे में जानकारी की तलाश की। यह केंद्र और राज्य सरकारों और मीडिया पर निर्भर करता है कि लोगों को तदनुसार तैयार करे।
उपराष्ट्रपति ने कहा “प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था में मंदी से विज्ञापन राजस्व आना कम हो गया। परिचालन के पैमाने को समायोजित करना पड़ा और अच्छी-खासी संख्या में मीडियाकर्मियों को वेतन में कटौती करनी पड़ी। लेकिन, बड़े पैमाने पर, मीडिया लोगों के सशक्तिकरण के मिशन के साथ कायम रहा। जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हुई।”
उन्होंने प्रिंट मीडिया द्वारा हार्ड कॉपी के वितरण को लेकर सामने आई विशेष समस्या का भी उल्लेख किया, क्योंकि वे वायरस के वाहक के रूप में गलत तरीके से पेश किए गए। नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में उनके साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से संसद के मानसून सत्र को आयोजित करने के संबंध में संपर्क किया था।
यह कहते हुए कि संसद के पिछले बजट सत्र को निर्धारित समय से कुछ दिन पहले 23 मार्च को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना पड़ा था, राज्यसभा के सभापति नायडू ने कहा कि उन्होंने और लोकसभा अध्यक्ष ने संसदीय समितियों की बैठकों को करने के बारे में अब तक कई दौर की चर्चाएं की हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण सामाजिक दूरी मानदंड के संदर्भ में संसद के मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही में सांसदों के बैठने और भागीदारी के लिए भी विस्तृत विचार-विमर्श और नियोजन की आवश्यकता है।