नई दिल्ली। एक बात तो बिल्कुल आईने की तरह साफ हो चुकी है कि गहलोत राज में लोगों के जेहन में कानून-व्यवस्था को लेकर तनिक भी संजीदगी शेष नहीं रह गई है। आए दिन प्रदेश से ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि कानून-व्यवस्था की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन इन मसलों को लेकर गहलोत सरकार का रूख बिल्कुल तटस्थ नजर आता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि आप गहलोत सरकार को लपेटने के मकसद से ऐसी रोषात्मक भूमिका रचा रहे हैं। आखिर माजरा क्या है, जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो आपको बताते चलें कि पहले करौली, फिर जोधपुरी, और अब भरतपुर से सांप्रदायिक हमले की खबर सामने आई है, जिमसें हालात इतने संजीदे हो गए हैं कि दोनों ही पक्ष के लोग एक-दूसरे को मरने-मारने पर उतारू हो गए।
बता दें कि बूट हाट क्षेत्र में यह पूरी घटना घटी है। जिसमें दोनों ही पक्षों के लोगों की तरफ कांच की बोतलें और पत्थर तक फेंके गए। जिसकी जद में आकर एक राहगीर चोटिल हो गया है। फिलहाल पुलिस ने इस पूरे मसले में हस्तक्षेप कर दो लोगों को हिरासत में ले लिया है। उससे पूछताछ का सिलसिला जारी है और मामले की तह तक जाने की कोशिश की जा रही है, ताकि स्थिति की सच्चाई सबके सामने जाहिर हो सकें। बता दें कि इससे पहले साल 2013 में भी दोनों ही पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। कहने के लिए तो झड़प के पीछे की वजह बेहद ही मामूली थी, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन यह इतनी संजीदा हो जाएगी कि लोग एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो जाएंगे। दरअसल, एक पक्ष की तरफ से जश्म मनाया जा रहा था। जिस दौरान ढोल नंगारे भी बजाए जा रहे थे। जिस पर दूसरे पक्ष की तरफ से पहले तो आपत्ति जताई गई, लेकिन बाद में हालात इतने संजीदे हो गए कि हालात हिंसात्मक हो गए और लोग एक- दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो गए। अब एक बार फिर से दोनों ही समुदायों के बीच में झड़प का मामला प्रकाश में आया है।
इसके बाद गोविंदपुरी स्थित धार्मिक स्थल से सांप्रदायिक हिंसक झड़प का मामला भी प्रकाश में आया था, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने हालातों को काबू में करने की कोशिश की थी। फिलहाल स्थिति पूरी तरह दुरूस्त है और पुलिस की तरफ से उन सभी शरारती तत्वों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है, जो हालातों को दुरूह करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन इस बीच इन तमाम मामलों को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार को निशाने पर लिए जाने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। हालांकि, अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी की तरफ से कोई खास आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने तो नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक दलों के रूख से साफ जाहिर हो रहा है कि आगामी दिनों में इन तमाम मसलों को लेकर विपक्षी दलों तरफ गहलोत सरकार को निशाने पर लेने के ध्येय से उठाया जा सकता है। अब ऐसी स्थिति में यह पूरा माजरा आगे चलकर क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए..न्यूज रूम पॉस्ट.कॉम