नई दिल्ली। केरल के वायनाड से कांग्रेस के टिकट पर गांधी परिवार की प्रियंका गांधी वाड्रा सांसद चुनी गई हैं। उन्होंने वामदलों के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को 410931 वोट से शिकस्त देकर वायनाड संसदीय उप चुनाव में परचम लहराया। प्रियंका गांधी को 622338 वोट मिले। कल यानी 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। जाहिर है, इसी सत्र में प्रियंका गांधी वाड्रा को लोकसभा में बतौर सांसद देखा और सुना जाएगा। अब ऐसे में सवाल ये है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस और विपक्षी दल संसद में कितना मौका देने वाले हैं?
इस सवाल की वजह ये है कि प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार बतौर सांसद लोकसभा पहुंची हैं। उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष हैं और मोदी सरकार पर कांग्रेस और विपक्ष की तरफ से वार करने की जिम्मेदारी अब तक राहुल ही निभाते आए हैं। इसके अलावा लोकसभा में कांग्रेस और विपक्ष के और भी वरिष्ठ सदस्य सांसद हैं। इनमें यूपी में कांग्रेस की सहयोगी सपा के अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव भी हैं। कांग्रेस और विपक्ष के वरिष्ठ सांसदों की मौजूदगी में प्रियंका गांधी वाड्रा को मोदी सरकार पर हमला करने के लिए कितना मौका दिया जाता है, इसका खुलासा अब संसद के शीतकालीन सत्र में ही होगा।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा। वो जरूर अपनी मां सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए रायबरेली और अमेठी में प्रचार करती रहीं। बीते कुछ समय से प्रियंका गांधी ने राजनीति में सक्रियता बढ़ाई। पहले उनको कांग्रेस ने महासचिव बनाकर यूपी का जिम्मा सौंपा, लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस को राज्य में पुनर्जीवित करने में नाकाम रहीं। फिर वो अपने भाई राहुल गांधी के साथ कई आंदोलनों में दिखीं। साथ ही राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा और वायनाड में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रियंका गांधी वाड्रा को देखा गया था। अब सबकी नजर इस पर है कि प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा में विपक्ष और कांग्रेस की तरफ से कितना दम दिखा पाती हैं। क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेता हमेशा उनकी नाक और शक्ल की तुलना इंदिरा गांधी से कर पार्टी का ब्रह्मास्त्र बताते रहे हैं। अब प्रियंका को साबित करना होगा कि वो कांग्रेस की ब्रह्मास्त्र हैं। अगर इसे वो अपने काम से साबित करने में नाकाम रहीं, तो पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है।