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Petrol Price: आसान भाषा में समझिए तेल का खेल; जानिए रूस-यूक्रेन संघर्ष से इस पर क्या होगा असर

Petrol Price:एक सामान्य नियम के हिसाब से देखा जाए तो अमीर देशों के यहां हमें पेट्रॉल की ऊंची कीमतें देखने को मिलती हैं, जबकि गरीब देश या फिर वैसे देश जहां गैसोलीन का उत्पादन और आयात होता है अमूमन वहां कीमतें डाउन रहती हैं। इस मामले में यूएस यानी अमेरिका एक ऐसा देश है, जहां हमें अपवाद देखने को मिलता है।

नई दिल्ली। वर्तमान में विश्व भर की बात की जाए तो पेट्रॉल का प्रति लीटर औसत मूल्य 96 रुपये के करीब है। हालांकि, विभिन्न देशों के बीच इनके दामों में काफी अंतर भी दिखता है। एक सामान्य नियम के हिसाब से देखा जाए तो अमीर देशों के यहां हमें पेट्रॉल की ऊंची कीमतें देखने को मिलती हैं, जबकि गरीब देश या फिर वैसे देश जहां गैसोलीन का उत्पादन और आयात होता है अमूमन वहां कीमतें डाउन रहती हैं। इस मामले में यूएस यानी अमेरिका एक ऐसा देश है, जहां हमें अपवाद देखने को मिलता है। अमेरिका आर्थिक तौर पर एडवांस देश है, लेकिन वहां पेट्रॉल की कीमतें काफी सस्ती हैं। बता दें कि विभिन्न देशों में तेलों की अलग-अलग कीमतों के लिए वहां के विभिन्न टैक्स और सब्सिडी जिम्मेवार होते हैं।

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तेलों पर टैक्सेशन का अधिकार देशों के पास

गौर करने वाली बात है कि सभी देश अंतर्राष्ट्रीय मार्केट से तेल तो समान रेट पर ही खरीदते हैं, लेकिन टैक्स निर्धारित करने का अधिकार खुद उनके पास ही होता है जिससे अलग-अलग देश अलग-अलग टैक्स निर्धारित करते हैं और इस प्रकार हमें विभिन्न देशों में तेलों का अलग-अलग रेट देखने को मिलता है, भले ही वे समान रेट पर ही अंतर्राष्ट्रीय मार्केट से उसे खरीदते हैं। आप आसान भाषा में ऐसे समझिए कि किसी गांव में चार-पांच दुकान हैं, वे शहर में मौजूद किसी बड़े दुकान से थोक भाव में सामान खरीदते हैं,वहां वे सामान की खरीदारी एक ही रेट पर करते हैं लेकिन उसके  बाद गांव आकर वे एक ही सामान को अलग-अलग रेट पर बेचना शुरू करते हैं।

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रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले से कच्चे तेलों के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगी आग

बहरहाल, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेलों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेलों की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल को छू रही है। इससे गैस-खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी हैं। गैस पर तो सीधे-सीधे 105 रूपये की वृद्धि हुई है। दूध के भी दाम बढ़े हैं और इसपर प्रति लीटर 2 रूपये की कीमत बढ़ोत्तरी हुई है। भारत पर असर की बात की जाए तो अभी तक तो तेलों के दामों में स्थिरता दिखी है, हालांकि अघोषित तौर देखा जाए तो इसके पीछे की वजह चुनाव नजर आता है। लेकिन आप ये मान के चलिए भले ही पिछले कुछ माहों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़े तेल की कीमतों का असर आप तक अभी नहीं पहुंचा है, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होंगे, तेल कंपनियां पिछले तीन माह से नहीं बढ़े तेल की कीमतों को जरूर वसूल करना चाहेंगी, और फिर आपके जेब पर सीधा असर पड़ेगा।