नई दिल्ली। कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस से लेकर सभी छोटे-बड़े सियासी दलों के नुमाइंदों की नजरें कल घोषित होने जा रहे विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं। सभी यह जानने के लिए बेताब हैं कि आखिर कर्नाटक का रण कौन फतह करने जा रहा है? आखिर सूबे की जनता ने किसे जीत का सेहरा पहनाने का फैसला किया है? इन्हीं सब सवालों के जवाब के इंतजार में बैठे सूबे की जनता को सुबह के आठ बजने का इंतजार है, जब चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। वैसे भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से कर्नाटक का सियासी रण सभी दलों के लिए लिटमस टेस्ट के समान है। इस चुनावी नतीजे से सियासी दलों को सूबे की जनता का मिजाज समझने में मदद मिलेगी। जिसे देखते हुए यह चुनावी नतीजे सभी दलों के लिए मायने रखते हैं। हालांकि कर्नाटक के सियासी दंगल के जीत का ताज अपने नाम करने के लिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में अब जीत का सेहरा किसके सिर बांधा जाता है। इसके लिए तो फिलहाल कल का इंतजार करना होगा।
आपको बता दें कि कर्नाटक के 224 विधानसभा सीटों के लिए गत 10 मई को वोटिंग हुई थी। 73 फीसद से अधिक मतगणना दर्ज की गई थी, जो कि गत विधानसभा चुनाव की तुलना में 1 फीसद से ज्यादा है। राज्य में 5.36 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया है। वहीं, 2, 615 उम्मीदवारों ने चुनाव में हिस्सा लिया। वहीं, अगर महिला मतदाताओं की बात करें, तो राज्य में ढाई करोड़ों से भी अधिक महिला मतदाता हैं। 16 हजार 697 से अधिक ऐसे मतदाता हैं, जिनकी उम्र 100 साल से भी अधिक हैं। वहीं, 9 लाख 17 हजार ऐसे मतदाता हैं, जिन्होंने पहली बार मतदान किया। उधर, 5 लाख 55 हजार विकलांग मतदाता हैं।
कैसी रही बीजेपी की चुनाव प्रणाली
वहीं पीएम मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने राज्यभर में 450 से भी अधिक रैलियां कीं हैं। 100 से भी ज्यादा रोड शो किए। वहीं, कांग्रेस की बात करें, तो राहुल, प्रियंका सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं के नेतृत्व में अनेकों जनसभाएं कीं गईं, जिसमें बीजेपी को आड़े हाथों लेने की पूरी कोशिश की गई।
ये मुद्दे रहे हावी
इसके अलावा अगर चुनाव प्रचार में अगर मुद्दे की बात करें, तो जहां कांग्रेस की ओर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की गई है, तो वहीं बीजेपी हनुमान, राम मंदिर, आतंकवाद सहित हिंदू तुष्टिकरण जैसे मसलों को लेकर कांग्रेस को आड़े हाथों लेने की कोशिश की।
हर वर्ग जाति को लुभाने की कोशिश
चुनाव प्रचार में सभी दलों की ओर से सभी जाति वर्ग को रिझाने की कोशिश की गई, जिसमें लिंगायत और वोक्कालिगा शामिल है। बता दें कि कर्नाटक को अब तक 23 मुख्यमंत्री मिले हैं, जिसमें से लिंगायत जाति से 8 मुख्यमंत्री और वोक्कालिगा जाति से 8 मुख्यमंत्री शामिल हैं। बता दें कि कर्नाटक के सियासी रण को फतह करने के लिए बीजेपी सहित अन्य दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। बहरहाल, अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। हालांकि, कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक सभी कर्नाटक के रण को फतह करने के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। अब ऐसे में कर्नाटक की असल सियासी परिदृश्य कैसी रहती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम