newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Independence Day: आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, 15 अगस्त को दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर इस वजह से कर रहे थे अनशन

हर तरफ अंग्रेजों की गुलामी के 200 साल के निशान भुला देने के लिए लोग आतुर थे। वहीं, इस आजादी के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर थे। वो आजादी के इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे। इसकी वजह कम ही लोगों को पता है।

नई दिल्ली। देश आज आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी की अमावस वाली रात खत्म होकर देश में नया सूरज उगा था। उस दिन पूरी दिल्ली समेत देश के कोने-कोने में लोग उत्साह में थे। पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस के नेता लालकिले पर ध्वजारोहण समारोह में इकट्ठा हुए थे। एक रात पहले ही नेहरू ने अपना मशहूर ‘Tryst With Destiny’ भाषण संसद के सेंट्रल हॉल में दिया था। हर तरफ अंग्रेजों की गुलामी के 200 साल के निशान भुला देने के लिए लोग आतुर थे। वहीं, इस आजादी के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर थे। वो आजादी के इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे। इसकी वजह कम ही लोगों को पता है।

gandhi in noakhali

गांधीजी आजादी के मौके पर नेहरू और वल्लभभाई पटेल की तरफ से भेजे गए न्योते को ठुकरा चुके थे। उन्होंने आजादी का जश्न मनाने से मना कर दिया था। अंग्रेजों ने भारत का विभाजन कर दिया था। देश के दोनों तरफ तब पाकिस्तान नामक नया देश था। उसी पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (अब बांग्लादेश) में भीषण दंगे हो रहे थे। दंगों से सबसे ज्यादा अगर कोई शहर जला, तो वो नोआखाली था। नोआखाली में हजारों हिंदुओं को मार डाला गया था। हिंदू औरतों और लड़कियों से रेप किया जा रहा था। हर तरफ मकानों को जलाने से उठे आग के शोले और धुआं नोआखाली के आसमान पर दिख रहे थे। गांधीजी ने ऐसे मौके पर दिल्ली में जश्न न मनाने का फैसला किया। उन्होंने नोआखाली का रुख किया और वहां दंगे रोकने के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए।

gandhi in noakhali 2

नोआखाली जाने से पहले नेहरू और पटेल की तरफ से आजादी के जश्न में शामिल होने के न्योते पर गांधीजी ने उनको लिखा था कि मेरे लिए आजादी के एलान के मुकाबले में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अमन कायम करना ज्यादा अहम है। आज जबकि देश आजादी की 76वीं सालगिरह मना रहा है, तो महात्मा गांधी का ये कथन आज भी जीवित है। आज भी जगह जगह दंगे होते हैं। हिंसा होती है। लोगों को मार दिया जाता है। गांधीजी के बताए रास्ते पर चलकर ही हम असल आजादी हासिल कर सकते हैं। ठीक उसी तरह जैसे अपने आमरण अनशन के दम पर उन्होंने नोआखाली में हो रहे दंगे रुकवाकर हासिल किया था।