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Who is Daupadi Murmu: कौन हैं BJP की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू, जिसे BJP ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बनाया उम्मीदवार

Who is Daupadi Murmu :द्रौपदी मुर्मू का नाम देश में जनजातीय समाज के बीच पैठ बनाने की भाजपा की रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। इससे गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 में होनेवाले आम चुनाव के मद्देनजर जनजातीय समाज के बीच एक संदेश तो दिया ही जा सकता है। 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं।

नई दिल्ली। पिछले काफी दिनों से राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा अपने चरम पर है। अब देश के अगले महामहिम कौन होंगे। यह तो फिलहाल राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद ही तय हो पाएगा। लेकिन, उससे पहले लोगों के जेहन में यह जानने की आतुरता अपने चरम पर थी कि आखिर विपक्षी समेत सत्तारूढ़ दल की तरफ से बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में किस नाम पर मुहर लग पाती है। बता दें कि विपक्षी की तरफ से तो काफी लंची चर्चा परिचर्चा के बाद यशवंत सिन्हा के नाम पर बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार मुहर लगा दी गई है, लेकिन अब सवाल उठने लगा कि आखिर सत्तारूढ़ दल की तरफ से बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में किसके नाम पर मुहर लगाई जाती है, तो आपको बता दें कि अब सत्तारूढ़ दल की तरफ से दौपद्री मूर्मु के नाम पर बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मुहर लगाई जा चुकी है। आइए, जानते हैं कि आखिर कौन हैं मूर्मु और कैस रहा है अब तक का उनका सियासी सफर?

Draupadi Murmu to be NDA's candidate for presidential polls | India News -  Times of India

झारखंड में राज्यपाल के तौर पर कुल 6 साल एक माह 18 दिन का उनका कार्यकाल निर्विवाद तो रहा ही, राज्य के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही है। कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से उड़ीसा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं। विपक्षी दलों के बीच राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर झारखंड के हजारीबाग निवासी कद्दावर नेता यशवंत सिन्हा के नाम पर मंगलवार को सहमति बन गयी है।

रांची से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के प्रधान संपादक हरिनारायण सिंह कहते हैं कि वर्ष 2017 में भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा हुई थी। दरअसल एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले सियासी निर्णयों के लिए जाने जाते हैं और ऐसे में निर्विवाद राजनीतिक करियर वाली आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे आना कतई अप्रत्याशित नहीं माना जाना चाहिए। द्रौपदी मुर्मू के पास राज्यपाल के तौर पर छह साल से भी ज्यादा के कार्यकाल का बेहतरीन अनुभव है। ऐसे में संभव है कि उनकी उम्मीदवारी से एनडीए पूरे देश को कई मायनों में प्रतीकात्मक संदेश देने की कोशिश कर सकती है।

द्रौपदी मुर्मू का नाम देश में जनजातीय समाज के बीच पैठ बनाने की भाजपा की रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। इससे गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 में होनेवाले आम चुनाव के मद्देनजर जनजातीय समाज के बीच एक संदेश तो दिया ही जा सकता है। 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं। राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नयी नियुक्ति नहीं किये जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था। अपने पूरे कार्यकाल में वह कभी विवादों में नहीं रहीं।

Who is Draupadi Murmu: Meet the Jharkhand Governor who could be India's  next President | India.com
झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं। कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया। विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुई। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. डॉ शैलेश चंद्र शर्मा याद करते हैं कि उन्होंने राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों परखुद लोक अदालत लगायी थी, जिसमें विवि शिक्षकों और कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा हुआ था। राज्य के विश्वविद्यालयों में और कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए उन्होंने चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया।

20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं। राजनीति में आने के पहले वह मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं। वह उड़ीसा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी। ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था।